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आशापुरा धाम में माता को चढ़ाए 56 भोग

56 भोग के समय अशोककुमार घेवरचंद भंडारी परिवार ने माता को चांदी का त्रिशूल अर्पण किया

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आशापुरा धाम में माता को चढ़ाए 56 भोग

बेंगलूरु. आशापुरा धाम, बन्नेरघट्टा में नवरात्रि के अष्ठमी के दिन प्रात: ब्रम्ह मुहूर्त में 18 अभिषेक हुआ। विनायक, खेतलाजी एवं माता का भव्य शृंगार हुआ। ट्रस्ट मंडल की ओर से आयोजित विनायक, खेतलाजी एवं माता को 56 भोग अर्पण किए गए।

56 भोग के समय अशोककुमार घेवरचंद भंडारी परिवार ने माता को चांदी का त्रिशूल अर्पण किया। धर्मीचंद भंवरलाल भंडारी ने चांदी की खडग़ अर्पण किया। संघवी पारसमल निर्मलकुमार भंडारी परिवार ने 11 किलो चांदी के बाजोट थाल सेट में 56 भोग सजाकर माता को अर्पण किया।

दोपहर 3 बजे से बहनों के लिए मेहंदी का कार्यक्रम हुआ। सायं बड़ी सांझी (गीत) का भव्य कार्यक्रम हुआ, जिसमें लगभग 1000 से ज्यादा बहनों ने भाग लिया। सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा।

रात्रि गरबा-डांडिया का भव्य आयोजन किया गया। नवमी के अवसर पर गुरुवार को पंचमी वर्षगांठ के दिन सुबह 9.30 बजे ध्वजारोहण का कार्यक्रम प्रारम्भ होकर शुभ मुहूत्र्र्त में ध्वजा चढ़ाई जाएगी।

ध्वजा के बाद पूर्णाहुति व महा प्रसादी वितरण कार्यक्रम होगा। भक्तों को माता के दरबार से मंत्रित पूजित सम्पूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र भेंट में दिया जाएगा। गुरुवार को विनायक की ध्वजा मुरीबाई सरदारमल भंडारी, खेतलाजी की ध्वजा मनोहरमल थानमल, माताजी की ध्वजा सुरेश नेमीचंद भंडारी परिवार द्वारा चढ़ाई जाएगी।

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बहुश्रुत के बारे में दी जानकारी
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ, विजयनगर में आयोजित प्रवचन में उपप्रवर्तनी मणिप्रभा ने कहा कि उत्तराध्य्यन सूत्र के गयारहवें अध्य्यन में बहुश्रुत के बारे में बताया गया है कि बहुश्रुत कौन होता है और कैसा होता है। बहुश्रुत की प्राप्ति में साधक के लिए सुविनीतता के15 लक्षण दिए गए हैं। 15 गुणों के होने से साधक सुविनीत कहलाता है।

उन्होंने कहा कि जो सदा गुरुजनों के सान्निध्य में निवास करता है, जो साधुमार्ग के प्रव़त्ति रूप प्रशस्त योगों में स्थित है। जो अंगोपांगादि शास्त्रों के अध्य्यन एवं आराधना करने वाला हो। जो गुरुजनों के लिए प्रिय कार्य करने वाला हो- वही शिक्षा प्राप्त करने के योग्य होता है। जो साधक शिक्षा प्राप्ति में बाधक कारणों का त्याग करके श्रुताराधना करता है वही बहुश्रुत कहलाता है।