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माया से बचें, गलतियों का प्रायश्चित करें: आचार्य चंद्रयश

यलहंका में प्रवचन

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बेंगलूरु. सुमतिनाथ जैन आराधना भवन, यलहंका में दैनिक प्रवचन में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने कहा कि हमारी आत्मा को गुणवान बनाने के लिए महर्षियों ने श्रावक के 21 गुण बताए हैं। हमारे जीवन में माया नहीं होनी चाहिए। दंभी व्यक्ति, मायावी, कपटी व्यक्ति की कभी भी सद्गति नहीं हो सकती। मायावी और कपटी व्यक्ति तिर्यंच गति में ही जाता है। हमारा जीवन सच्चा और सत्य होना चाहिए। आपके परिणाम जैसे होंगे वैसा ही आपको फल मिलने वाला है। इसीलिए जीवन यदि पाप किया है तो दोषों को स्वीकार करो। कुछ गलती हो जाती है तो उसका प्रायश्चित कर लो। यदि उसे कपट से दबाओगे तो वह माया वाला पाप हमारा भव भ्रमण बढ़ा देगा। सफेद कपड़े पहनने से व्यक्ति धार्मिक नहीं बन जाता। हृदय को सरल करके व्यक्ति धर्मी बनता है।

आचार्य ने कहा कि हमारा धर्म पुण्य उपार्जन वाला नहीं, कर्म निर्जरा वाला होना चाहिए। इसलिए जीवन में हमें वास्तविक बनना है। हाथी के दांत दिखाने के अलग होते हैं ओर खाने के अलग होते हैं। हमारा ऐसा जीवन नहीं होना चाहिए। हमारा जीवन तो पानी की तरह स्वच्छ और निर्मल होना चाहिए। बालक-बालिकाओं के लिए गोचरी पौषध का आयोजन हुआ।