
बेंगलूरु. विधानसभा की घोषणा होने के बाद से अब तक राज्य से दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरी दौर में मतदाताओं से रू-ब-रू होंगे। भाजपा को उम्मीद है कि चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा काम कर जाएगा और भाजपा की नैया पार लग जाएगी। हालांकि, आलोचक यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री का अब तक चुनाव प्रचार से दूर रहना और रैलियों की संख्या में कटौती इस बात का संकेत है कि भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है।
मोदी ने आखिरी बार 27 फरवरी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा के जन्मदिन पर दावणगेरे में एक जनसभा को संबोधित किया और एक बार फिर से येड्डियूरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया। तब से दो महीने गुजर गए और राज्य में उनका एक भी दौरा नहीं हुआ। पिछले 27 मार्च को ही राज्य में चुनाव की घोषणा हो गई मगर एक महीने बीत जाने पर भी उनका कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हुआ। मोदी ने चुनावों के मद्देनजर 29 अक्टूबर 2017 को पहली यात्रा की थी जब वे धर्मस्थल आए और फिर वहां से बेंगलूरु स्थित पैलेस मैदान में भी एक जनसभा को संबोधित किया।
वहीं 4 फरवरी को भी बेेंगलूरु में नव कर्नाटक निर्माण परिवर्तन यात्रा को भी संबोधित किया। इसके बाद 19 फरवरी को मैसूरु में एक रैली को संबोधित किया और फिर 27 फरवरी को दावणगेरे में आखिरी बार आए। हालांकि, नमो एप के जरिए उन्होंने दिल्ली से उम्मीदवारों और प्रदेश कार्यकर्ताओं को संबोधित किया लेकिन चुनाव की आधिकारिक घोषणा के बाद से अभी तक किसी सार्वजनिक सभा को संबोधित नहीं किया।
कहा जा रहा है कि मोदी की यहां अनुपस्थिति की वजह उनकी व्यस्तता है। वहीं सूत्रों का कहना है कि उनके चुनावी कार्यक्रम अभी भी तय किए जा रहे हैं। वे राज्य के चुनावी अभियान में आखिरी दौर में प्रवेश करेंगे और लगभग 15 रैलियां करेंगे। अगर पिछले गुजरात चुनाव में उनके द्वारा की गई रैलियों से तुलना करें तो यह उनकी आधी है। गुजरात चुनावों की घोषणा होने के बाद पीएम मोदी ने वहां 31 रैलियां की थी। पहले कहा जा रहा था कि चीन से लौटने के बाद वे 29 अप्रेल को कोलार में एक जनसभा को संबोधित करेंगे लेकिन अब उसमें परिवर्तन कर दिया गया है। अभी तक जो नरेंद्र मोदी का मोटा-मोटी कार्यक्रम तैयार किया गया है उसके अनुसार वे 1 मई को चामराजनगर, उडुपी और बेलगावी में तीन जनसभाएं संबोधित करेंगे।
इसके बाद वे फिर 3 मई को प्रदेश दौरे पर पहुंचेंगे और कलबुर्गी, बल्लारी और बेंगलूरु में जनसभा करेंगे। 5 मई को तूमकुरु, शिवमोग्गा और हुब्बल्ली में उनके कार्यक्रम हैं। फिर 7 मई को रायचूर, चित्रदुर्गा और कोलार में रैली होगी। आखिरी रैली उनकी 8 मई को विजयपुर, मेंगलूरु और बेंगलूरु में करने की योजना है। दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यहां लगातार कैंप कर रहे हैं। बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर शाह चुनावी रणनीतियां बना रहे हैं वहीं मोदी के आखिरी दौर के चुनावी प्रचार से भाजपा कांग्रेस पर बढ़त की उम्मीद कर रही है।
कार्यकर्ताओं को पीएम के दौरे का इंतजार
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर और मध्य कर्नाटक में चुनाव प्रचार की शुरूआत कर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को उत्साहित करना शुरू कर दिया है लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को अब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इंतजार है। शनिवार को उत्तर कर्नाटक के हुणगुंद में शाह की रैली के दौरान कई पार्टी कार्यकर्ता मोदी को जल्द चुनाव प्रचार के लिए बुलाने की मांग करते दिखे।
कार्यकर्ताओं को कहना है कि शाह के चुनाव प्रचार के लिए राज्य में आने से पार्टी में उत्साह है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का स्थान कोई नहीं ले सकता। लोगों का मानना है कि मोदी एक चमत्कारिक नेता हैं और वे विपक्षी दलों के खिलाफ कहीं ज्यादा आक्रामक रुख अपनाते हैं। शनिवार को अमित शाह ने बागलकोट जिले के हुणगुंद विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया। भाजपा यहां वर्ष-२००४ और २००८ में जीती थी जबकि वर्ष-२०१४ में कांग्रेस उम्मीदवार के वी शिवशंकरप्पा को जीत मिली थी। इस बार भाजपा ने दोड्डन गौड़ा जी. पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। यहां पानी और सिंचाई परियोजाएं मुख्य चुनावी मुद्दा हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी यहां चुनाव प्रचार करते हैं तो निश्चित ही भाजपा को बड़ा फायदा होगा।
इसी प्रकार पड़ोस के बालेश्वर विधानसभा सीट पर भी भाजपा की नजर है। वर्ष-२००८ में भाजपा की लहर होने के बाद भी यहां से कांग्रेस के एमबी पाटिल को जीत मिली थी और बाद में वर्ष-२०१३ में भी उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। भाजपा नेताओं का कहना है कि वर्ष-२०१३ में बीएस येड्डियूरप्पा के भाजपा में नहीं रहने के कारण इस सीट पर हार झेलना पड़ा था लेकिन इस बार येड्डियूरप्पा की भाजपा में वापसी हो जाने से पार्टी यहां मजबूत वहीं हुई है। हालांकि लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता दिलाने के मुद्दे पर एमबी पाटिल ने जोरदार नेतृत्व किया था और अब इसका बड़ा फायदा पाटिल को मिल सकता है। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना हैकि इन सीटों को लेकर अगर मोदी चुनाव प्रचार करते हैं तो इससे चुनाव परिणाम पर बड़ा असर पड़ेगा।
Published on:
30 Apr 2018 10:31 pm
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