
बेंगलूरु. बोतलबंद पानी का उपयोग करने वालों के लिए यह बुरी खबर है। यह सोचना कि बोतलबंद पानी पीने के लिए सुरक्षित है तो सतर्क हो जाइए। सरकार की जांच में हर तीन में से दो नमूने असुरक्षित पाए गए हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडूराव ने मंगलवार को कहा कि गुणवत्ता विश्लेषण के लिए राज्य भर से एकत्र किए गए बोतलबंद पानी के दो-तिहाई नमूने पीने के लिए अनुपयुक्त पाए गए हैं। राव ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि फरवरी में एकत्र किए गए 280 नमूनों में से 257 का विश्लेषण पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा, 89 नमूने पीने के लिए असुरक्षित पाए गए, जबकि 79 घटिया पाए गए। उन्होंने कहा कि 89 नमूने पीने के लिए सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि रासायनिक और सूक्ष्मजीवी संदूषण के अलावा, असुरक्षित पाए गए नमूनों में खनिज की मात्रा भी कम थी, जिससे स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ हो सकती हैं।
पानी के नमूनों में पाए गए रासायनिक संदूषकों में कीटनाशक अवशेष, फ्लोराइड और कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे कुल घुले हुए ठोस पदार्थ शामिल हैं। राज्य का खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन अब खराब गुणवत्ता वाला पानी आपूर्ति करने वाली कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने से पहले बोतलबंद पानी की कंपनियों से कानूनी नमूने लेगा।
उन्होंने कहा, हमने केवल सर्वेक्षण नमूने लिए हैं। एक बार जब हमें वैध नमूने मिल जाएंगे, तो हम निर्माताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एकत्र किए गए अधिकांश नमूने स्थानीय निर्माताओं से थे, जबकि राष्ट्रीय स्तर के ब्रांडों के मानक बेहतर थे।
चिंता का एक और प्रमुख स्रोत हरे मटर में पाए जाने वाले कैंसरकारी रंग एजेंट हैं। जब विभाग ने हरी मटर के 115 नमूनों का विश्लेषण किया, तो लगभग 70 प्रतिशत खाने के लिए असुरक्षित पाए गए। मंत्री ने कहा कि केवल 46 नमूने सुरक्षित थे जबकि 69 सुरक्षित नहीं थे। उन्होंने कहा कि हरे मटर में सनसेट येलो और टेट्राजिन जैसे रंग एजेंट प्रमुख संदूषक हैं।
Updated on:
08 Apr 2025 10:52 pm
Published on:
08 Apr 2025 10:48 pm
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