
बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) कार्ड रद्द किए जाने को लेकर उपजे विवाद पर मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने स्पष्ट किया है कि, केवल अपात्र बीपीएल कार्ड ही रद्द किए जाएंगे, पात्र लाभार्थियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
बागलकोट में मुख्यमंत्री ने कहा कि, बीपीएल कार्ड रद्द किए जाने का दावा पूरी तरह गलत है। केवल बीपीएल कार्ड धारकों के समूह से अपात्र कार्ड धारकों को छांटने के लिए कदम उठा रहे हैं। इससे पात्र लाभार्थियों को सभी लाभ हासिल करने में मदद करेगा। कई सरकारी कर्मचारियों और करदाताओं ने बीपीएल कार्ड रखा है। कई बार अपील किया गया लेकिन, उन्होंने वापस नहीं किया। खाद्य विभाग इन मामलों की जांच कर रहा है। हालांकि, अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अपात्र लोगों के बीपीएल कार्ड नहीं रहेंगे, लेकिन पात्र लाभार्थियों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि, क्या आयकर दाताओं और सरकारी कर्मचारियों को बीपीएल कार्ड दिए जाने चाहिए। कोई भी कार्ड पूरी तरह से रद्द नहीं किया जाएगा। केवल अपात्र लोगों के कार्ड ही वापस लिए जा सकते हैं। उससे लिए पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी पात्र लाभार्थी इससे वंचित नहीं रहे। सरकार की एकमात्र चिंता है कि, पात्र लाभार्थी वंचित न हो और अपात्र व्यक्ति उसका दुरुपयोग न करे।
6.5 करोड़ आबादी, 4.5 करोड़ के पास बीपीएल कार्ड
इससे पहले खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री केएच मुनियप्पा ने कहा कि, भाजपा सरकार ने ही वैसे बीपीएल कार्ड धारकों को अपात्र घोषित करने का कदम उठाया था जो करदाता हैं। उन्होंने कहा कि, दक्षिण भारत में सबसे अधिक बीपीएल कार्ड जारी करने वाले राज्य कर्नाटक ही है। यहां की आबादी 6.50 करोड़ है और 4.50 करोड़ बीपीएल कार्ड जारी हुए हैं। चूंकि, यह आम धारणा है कि, कई अपात्र लोग भी बीपीएल कार्ड रखे हुए हैं भाजपा सरकार ने उसकी समीक्षा करने के लिए नियम-कायदे तय किए। बीपीएल कार्ड धारकों को सुविधाएं पहुंचाने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है। दरअसल, भाजपा ने आरोप लगाया था कि, राज्य में 11 लाख बीपीएल कार्ड रद्द कर दिए गए हैं।
Published on:
18 Nov 2024 07:04 pm
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