कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने एक्स (ट्विटर) पर एक टिप्पणी पोस्ट की। जिसमें सिद्धरामैया सरकार से जातीय जनगणना (caste census) निष्कर्षों को सार्वजनिक करने का आग्रह किया गया। हरिप्रसाद ने पोस्ट किया कि ‘बिहार जो कि इंडिया गठबंधन द्वारा शासित है, ने अपनी जातीय जनगणना (caste census) जारी की है। राहुल गांधी ने पिछड़े वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के बारे में भावुक होकर बात की है। अब कर्नाटक के लिए 2017 में आयोजित जातीय जनगणना (caste census) को तुरंत जारी करना अनिवार्य है।’ कर्नाटक अब जातीय जनगणना (caste census) के लिए तैयारी कर रहा है, जो संभावित रूप से सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को स्थाई रूप से बदल सकता है और राज्य की राजनीति को उल्टा कर सकता है।
गौरतलब है कि सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण नामक जनगणना, सिद्धरामैया के पिछले कार्यकाल (2013-18) के दौरान आयोजित की गई थी और इसके निष्कर्ष सरकार के पास सुरक्षित हैं। कई समूहों ने यह दावा करते हुए जातीय जनगणना (caste census) का विरोध किया था कि राज्य सरकार को इसका कोई अधिकार नहीं है। जिसके बाद इसका नाम बदल दिया गया था।
2018 के विधानसभा चुनावों में एचडी कुमारस्वामी, बीएस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई ने जातीय जनगणना (caste census) डेटा जारी करने से साफ इनकार कर दिया था। लेकिन अब सीएम सिद्धरामैया जातीय जनगणना (caste census) के आंकड़ों को तत्काल पेश करने का समर्थन कर रहे हैं, उनका तर्क है कि इससे कई ऐतिहासिक अन्याय ठीक हो जाएंगे। लेकिन राजनीतिक मजबूरियां उन्हें यह निर्णायक कदम उठाने की इजाजत नहीं दे रही हैं। इसका बढ़ा कारण लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के वोट पूरी तरह से बीजेपी-जेडीएस गठबंधन के पक्ष में एकजुट होना माना जा रहा हैं। Caste census report will be helpful in making better policies and ensuring social justice