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स्‍कूलों में कन्नड़ को अनिवार्य विषय बनाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्‍थगित

याचिकाकर्ताओं ने सीलबंद लिफाफे में जमा किया बच्चों का विवरण

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karnataka high court

बेंगलूरु. सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड स्कूलों में कन्नड़ को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले आठ छात्रों के माता-पिता ने खंडपीठ के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में अपने बच्चों और स्कूलों का विवरण दाखिल किया।

मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायाधीश कृष्ण एस. दीक्षित की पीठ ने गुरुवार को बहस के दौरान इस मुद्दे पर टिप्पणी करते समय सावधानी बरतने को कहा।

20 अभिभावकों ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि कन्नड़ भाषा शिक्षण अधिनियम-2015, कन्नड़ भाषा शिक्षण नियम-2017 और कर्नाटक शैक्षिक संस्थान (अनापत्ति प्रमाण पत्र और नियंत्रण जारी करना) नियम-2022 विरोधाभासी हैं। इन्हें अवैध रूप से लागू किया गया है। सीबीएसइ और आइसीएसइ स्कूलों में भी कन्नड़ एक अनिवार्य विषय है।

इनमें से चार को छोडक़र बाकी याचिकाकर्ताओं का ब्योरा गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सीलबंद लिफाफे में विवरण स्वीकार कर लिया और सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जबकि शेष चार याचिकाकर्ताओं को अपने बच्चों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

इससे पहले अदालत ने इनमें से आठ याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दीं कि वे अपनी नौकरी खोने वाले शिक्षक थे और वे इस मुद्दे पर जनहित याचिका का हिस्सा नहीं बन सकते थे। अदालत ने 13 सितंबर के एक आदेश में आदेश दिया था कि शेष याचिकाकर्ता अपने बच्चों का विवरण और स्कूलों का विवरण प्रदान करें।