मुनि ने कहा कि प्रेक्षा ध्यान आत्मा को समझने और जीवन को बदलने का एक अभ्यास है। यह ध्यान की एक तकनीक है, जिसके जरिए मनोवृत्ति में बदलाव लाने के साथ ही व्यवहार में सुधार किया जा सकता है । प्रेक्षा ध्यान के माध्यम से आत्मा की साधना करने से पूर्व अपने शरीर को साधना अति आवश्यक है। शरीर की स्थिरता के बिना ध्यान में उतरना संभव नहीं है। मुनि ने श्रावक-श्रविकाओं को प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ के इस महत्वपूर्ण अवदान को अपने जीवन में उतारकर इसके नियमित अभ्यास करने की प्रेरणा दी । इससे पहले नमस्कार महामंत्र के साथ कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। केंद्र के सदस्यों ने मंगलाचरण के रूप मे आचार्य महाप्रज्ञ के रचित गीत का संगान किया। प्रेक्षा प्रशिक्षक साउथ कोआर्डिनेटर एवं विजयनगर प्रेक्षा ध्यान केंद्र की संयोजिका वीणा बैद ने अर्हम मंत्र पर ध्यान का विशेष प्रयोग कराया। संचालन प्रेक्षा प्रशिक्षक छत्र सिंह मालू और आभार ज्ञापन महिमा पटावरी ने किया।