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उलटी गिनती शुरू, चंद्रमा पर उतरने के लिए अंतरिक्ष में महाछलांग तड़के 2.51 बजे

locationबैंगलोरPublished: Jul 14, 2019 08:58:46 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

अब तक 38 बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश हो चुकी है लेकिन सफलता दर महज 52 फीसदी है। सिर्फ तीन देश अमरीका, रूस और चीन कामयाब हुए हैं। इस बार भारत की आजमाइश है। भारत का रेकार्ड बेदाग है। पहले ही प्रयास में चांद और मंगल की कक्षा में अपना यान स्थापित कर दुनिया को चौंका दिया।

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उलटी गिनती शुरू, चंद्रमा पर उतरने के लिए अंतरिक्ष में महाछलांग तड़के 2.51 बजे

बेंगलूरु. श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड पर चंद्रयान-2 उड़ान भरने को तैयार है। रविवार सुबह 6.51 बजे मिशन के प्रक्षेपण के लिए 20 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो गई। इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि उलटी गिनती सुचारू रूप से चल रही है। सोमवार तड़के 2.51 बजे जब भारतीय आकाश में चंद्रमा अपनी पूरी चमक बिखेर रहा होगा और उसकी दुधिया किरणें भारतीय सरजमीं को छू रही होंगी ठीक उसी समय बंगाल की खाड़ी में स्थित श्रीहरिकोटा से देश का मानव रहित वैज्ञानिक अध्ययन यान चन्द्रयान-2 चन्द्रमा के लिए उड़ान भरेगा।
ऐतिहासिक होगी उड़ान
भारत की यह उड़ान ऐतिहासिक होगी क्योंकि इस बार चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरने की तैयारी है जहां विश्व का कोई भी यान नहीं पहुंच सका। इतना ही नहीं भारत विश्व का सिर्फ चौथा देश होगा जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ही चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस ऐतिहासिक मिशन के लांचिंग का गवाह बनेंगे। मिशन के प्रक्षेपण के समय वे श्रीहरिकोटा में मौजूद रहेंगे। चंद्रयान-2 मिशन चंद्रयान-1 से कई मायनों में अलग है लेकिन पहले मिशन के अध्ययनों को यह आगे बढ़ाएगा। 978 करोड रुपए वाले इस मिशन के तहत 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 के तीन मॉड्यूल आर्बिटर, लैंडर और रोवर चांद तक पहुंचेंगे। प्रक्षेपण के 16 दिन बाद यान चांद की कक्षा में स्थापित होगा और 6 सितम्बर को लैंडर (विक्रम) चांद की धरती पर उतरेगा। लैंडर के उतरने के चार घंटे बाद रोवर (प्रज्ञान) निकलेगा और चांद की धरती पर चहलकदमी करते हुएविभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा।
38 बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश, सफलता दर 52 फीसदी

अब तक 38 बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश हो चुकी है लेकिन सफलता दर महज 52 फीसदी है। सिर्फ तीन देश अमरीका, रूस और चीन कामयाब हुए हैं। इस बार भारत की आजमाइश है। भारत का रेकार्ड बेदाग है। पहले ही प्रयास में चांद और मंगल की कक्षा में अपना यान स्थापित कर दुनिया को चौंका दिया। जो कोई देश नहीं कर पाया उसे भारत ने कर दिखाया। इस बार भी भारतीय वैज्ञानिक आत्मविश्वास से भरपूर हैं और पहले ही प्रयास में चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम को उतारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। हालांकि, यह मिशन बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण है और लगभग 2 महीने तक इसरो वैज्ञानिकों को कई पड़ावों से गुजरना है।
कई पड़ावों से गुजरना है।

सबसे पहले इसरोकी नजर चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण कर उसे पृथ्वी की 170 गुणा 40 हजार 400 किमी वाली कक्षा में स्थापित करना। सोमवार तड़के 2.51 बजे उड़ान भरने के लगभग 973 सेकेंड (16 मिनट 21 सेकेंड) बाद उसे निर्धारित कक्षा में स्थापित कर देगा। इसके बाद 16 दिनों के के दौरान 4 आर्बिट रेजिंग मैनुवर होंगे। यानी, यान को कक्षा में उठाया जाएगा। 17 वें दिन पांचवे आर्बिट मैनुवर के साथ उसे चांद के प्रक्षेप पथ (ट्रांस लूनर आर्बिट) में स्थापित कर दिया जाएगा। चंद्रयान अपनी कक्षा में गतिमान चांद की तुलना में अधिक गति से निकलता हुआ उसे आगे से कैप्चर करेगा। इसके लिए चांद की कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया 22 वें दिन पूरी होगी। इस दौरान इस मिशन के सामने कई चुनौतियां आएंगी।चांद की कक्षा में उतरने से चार दिन पहले लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। इसके बाद वह 100 गुणा 30 किमी वाली कक्षा में पहुंचेगा। जब चांद की धरती से लेंडर की दूरी 30 किलोमीटर है जाएगी तब लैंडर चांद की धरती पर उतरने के लिए रवाना होगा। लगभग 15 मिनट के बाद लैंडर चांद की धरती पर पहुंचेगा।

आखिरी 15 मिनट में क्या होगा
-100 गुणा 30 किमी वाली कक्षा में 6120 किमी प्रति घंटे की चक्कर काटात लैंडर चांद की धरती की ओर रवाना होगा
-10 मिनट 30 सेकेंड पहले जब लैंडर चांद से 7.4 किमी की ऊंचाई पर रहेगा और उसकी गति 526 किमी प्रति घंटे होगी।
-अगले 38 सेकेंड में उसकी गति घटकर 331.2 किमी प्रति घंटे हो जाएगी और चांद की धरती से ऊंचाई 5 किमी रह जाएगी
-अगले 89 सेकेंड में वह चांद से महज 400 मीटर की ऊंचाई पर रहेगा। यहां वह लगभग 12 सेकेंड तक मंडराता रहेगा और चांद की धरती से कुछ आंकड़े जुटाएगा।
-अगले 66 सेकेंड बाद लैंडर चंद्र सतह से 100 मीटर की ऊंचाई पर रहेगा और लगभग 25 सेकेंड तक मंडराता रहेगा। यहां विक्रम यह तय करेगा कि लैंड होना है या कहीं अन्यत्र जगह पर पहुंचना है।
-10 मीटर की ऊंचाई से चांद की सतह पर उतने में विक्रम 13 सेकेंड की समय लेगा। इस दौरान सभी पांच इंजन सक्रिय रहेंगे। जब लैंडर का लेग चांद की धरती पर जम जाएगा तब सेंसर के संकेत पर इंजन स्वत: बंद हो जाएंगे।
-चांद पर उतरने के 15 मिनट बाद लैंडर धरती पर पहली तस्वीर भेजेगा
-चांद पर उतरने के 4 घंटे बाद लैंडर से रोवर निकलेगा।

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