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घटती स्क्वाड्रन क्षमता ने बढ़ाई वायुसेना की चिंता

-मिग विमानों के बाहर होने और तेजस विमानों की आपूर्ति में देरी से घटी वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता 83 तेजस मार्क-1 ए विमानों के लिए वायुसेना ने किया है एचएएल से करार

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वायुसेना के बेड़े में पुराने हो चुके मिग विमानों के चरणबद्ध तरीके से बाहर होने और उनकी जगह तेजस विमानों की आपूर्ति में देरी के कारण वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने विमान निर्माता कंपनी एचएएल के प्रति गहरा असंतोष जताया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एचएएल पर भरोसा नहीं रहा क्योंकि बार-बार वादा करने के बावजूद वह समय पर विमानों की आपूर्ति नहीं कर रहा है।

एयर मार्शल एपी सिंह कई बार एचएएल पर नाराजगी जता चुके हैं। फिर एक बार उन्होंने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। दरअसल, चार साल पहले फरवरी 2021 में ही वायुसेना ने 83 तेजस मार्क-1 ए युद्धक विमानों की खरीद के लिए एचएएल के साथ 48 हजार करोड़ रुपए का सौदा किया था। सौदे के तहत मार्च 2024 से तेजस विमानों की आपूर्ति शुरू होनी थी और सारे विमान 2028-29 तक सौंपने का लक्ष्य था। हाल ही में एचएएल ने एपी सिंह को आश्वस्त किया था एयरो इंडिया के दौरान 11 तेजस मार्क-1ए विमान तैयार रहेंगे, लेकिन अभी तक एक भी विमान वायुसेना को नहीं दिया है।

स्क्वाड्रन क्षमता और गिरेगी!

वायुसेना के बेड़े से मिग-21, मिग-23 और मिग-27 विमान चरणबद्ध तरीके से हटाए जा रहे हैं लेकिन उनकी जगह नए तेजस विमान शामिल नही हो पा रहे हैं। अभी तक केवल 36 तेजस मार्क-1 वायुसेना को मिल पाए हैं जिसके लिए 2010 में ही करार हुआ था। विमानों की आपूर्ति में देरी के कारण वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता में काफी गिरावट आई है जो चिंता का विषय बनी हुई है। भारतीय वायुसेना के लिए 42.5 स्क्वाड्रन युद्धकों की मंजूरी है लेकिन ऑपरेशनल स्क्वाड्रन क्षमता गिरकर 30-31 के आसपास रह गई है। इस साल के अंत तक मिग-21 के दो और स्क्वाड्रन वायुसेना से बाहर हो जाएंगे जिससे ऑपरेशनल स्क्वाड्रन गिरकर 28-29 के आसपास रह जाएगा।

तीन तेजस मार्क-1ए विमान तैयार

वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने एयरो इंडिया के दौरान तेजस विमानों में उड़ान भरकर आत्मविश्वास तो बढ़ाया लेकिन कहा कि मजा नहीं आ रहा है। वायुसेना प्रमुख जिन नई तकनीकों का इंटीग्रेशन चाहते थे कहीं न कहीं उसको लेकर भी संतुष्ट नहीं हैं। इस बीच एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ.के सुनील ने कहा कि जीई-404 इंजन की आपूर्ति शुरू होते ही वायुसेना को विमान मिलने लगेंगे। तीन तेजस मार्क-1ए विमान तैयार हैं। साल के अंत तक 11 विमान वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे। वायुसेना अध्यक्ष की चिंताओं पर सुनील ने कहा कि तेजस परियोजना 1984 में शुरू हुई लेकिन परमाणु परीक्षण के बाद लगे प्रतिबंधों का परियोजना पर व्यापक असर पड़ा। कई तकनीकी चुनौतियां थीं लेकिन उन्हें अब सुलझा लिया गया है। देरी की वजह आलस्य नहीं है। उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुख की चिंता समझ में आती है। हमने कई स्तरों पर बैठकें की हैं और उनकी चिंताओं को दूर किया है। समय पर अमरीकी कंपनी से विमान जीई इलेक्ट्रिक से इंजन नहीं मिलने से देरी हुई लेकिन इस साल के अंत तक 12 इंजन मिल जाएंगे। दरअसल, इन विमानों के इंजन के लिए अमरीकी कंपनी जीई से करार हुआ है जिसकी आपूर्ति में भी देरी हुई है।