
बेंगलूरु. राजाजीनगर जैन स्थानक में साध्वी सुमित्रा के सान्निध्य में गुरु आत्म-शुक्ल -शिव जन्मोत्सव के चार दिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस को ‘गुरु वन्दना’ दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वी डॉ सुप्रिया ने प्रवचन में कहा कि विनयपूर्वक नमन को जिनशासन में वन्दन कहा गया है। गुरु वन्दना करने से उच्च गोत्र का बंध होता हैै। वंदना साधु के पंच महाव्रतों और उनके गुणों की की जाती है। साधु का सत् चरित्र और उनका परोपकारपूर्वक आचरण वंदनीय होता है। मोक्ष मार्ग में गति हेतु भावपूर्वक परमेष्ठी वंदन आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि वंदना के दो प्रकार है- द्रव्य और भाव वन्दना। शरीर से पंचांग झुकाकर नमन करना द्रव्य वन्दना है, जबकि उत्कृष्ट भाव से भक्तिपूर्वक मन से नमन को भाव-वन्दना कहा है। उत्कृष्ट भावों से गुरु वन्दना करने से पापों का क्षय होता है।
साध्वी सुविधि ने स्तवन प्रस्तुति दी। साध्वी सुमित्रा ने मंगलपाठ प्रदान किया। नेमीचंद दलाल ने बताया कि चार दिवसीय गुरु जन्मोत्सव का तीसरा दिवस शनिवार को सह जोड़े जाप एवं आयंबिल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
Published on:
18 Sept 2021 01:45 pm
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