उन्होंने कहा कि वंदना के दो प्रकार है- द्रव्य और भाव वन्दना। शरीर से पंचांग झुकाकर नमन करना द्रव्य वन्दना है, जबकि उत्कृष्ट भाव से भक्तिपूर्वक मन से नमन को भाव-वन्दना कहा है। उत्कृष्ट भावों से गुरु वन्दना करने से पापों का क्षय होता है।
साध्वी सुविधि ने स्तवन प्रस्तुति दी। साध्वी सुमित्रा ने मंगलपाठ प्रदान किया। नेमीचंद दलाल ने बताया कि चार दिवसीय गुरु जन्मोत्सव का तीसरा दिवस शनिवार को सह जोड़े जाप एवं आयंबिल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।