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बारह वर्षीय शशांक एक दिन के लिए बना पुलिस निरीक्षक

पूरा हुआ सपना: शशांक ने कहा-लॉक अप में हो रोशनी, पानी की व्यवस्था

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बारह वर्षीय शशांक एक दिन के लिए बना पुलिस निरीक्षक

बेंगलूरु. गंभीर बीमारी से जूझ रहे चिकबल्लापुर जिले के चिंतामणि तहसील के नारायणहल्ली निवासी 12 वर्षीय शशांक की पुलिस निरीक्षक बनने की ख्वाहिश मंगलवार को पूरी हुई।
शशांक को एक दिन के लिए वीवीपुरम पुलिस थाने का पुलिस निरीक्षक बनाया गया। इस दौरान उसने पुलिस कर्मचारियों को कुछ सुझाव भी दिए। शशांक थैलेसीमिया से ग्रस्त है। शशांक बड़ा होकर पुलिस निरीक्षक बनना चाहता है। मेक-ए-विश नामक एक संगठन ने शशांक की इच्छा पूरी करने का संकल्प लिया। इस संस्था के पदाधिकारियों ने पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) डॉ. एसडी शरणप्पा से शशांक की इच्छा पूरी करने की मनुहार की। शरणप्पा ने मंगलवार को इसकी मंजूरी दी। जिसके तहत शशांक को वाणी विलास अस्पताल से पुलिस जीप में पुलिस थाने ले जाया गया।
जब वह पुलिस निरीक्षक की वर्दी पहन कर थाने पहुंचा तो सभी पुलिस कर्मचारियों ने उसका भव्य स्वागत किया। जवानों ने सलामी के साथ अपना परिचय कराया। इसके बाद शशांक ने भी अपना परिचय दिया। शशांक ने सबसे पहले लॉकअप और शस्त्रागार का निरीक्षण किया। उसने पुलिस कर्मचारियों को निर्देश दिए कि लॉकअप में रोशनी और पानी की सुविधा होनी चाहिए।
शस्त्रों का सही तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए। कई दिनों से सफाई नहीं होने से इनमें जंग लग चुका है। सभी शस्त्रों की सफाई और मरम्मत कर रखने के लिए कहा। पुलिसकर्मियों से संवाद के बाद शशांक पुलिस जीप से पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) कार्यालय भी गया। जहां उसने पुलिस उपायुक्त शरणप्पा से मुलाकात की और उसकी इच्छा पूरी करने पर उन्हें धन्यवाद कहा। फिर उसे पुलिस जीप से ही अस्पताल पहुंचाया गया।
शशांक की इच्छा पूरी करने में शरणप्पा, वीवीपुरम संभाग के सहायक पुलिस आयुक्त एनआर महांतेश रेड्डी, पुलिस निरीक्षक टीडी राजू और अन्य पुलिस कर्मचारियों ने सहयोग किया।

इसीलिए बनना चाहता है पुलिस अधिकारी
पुलिस कर्मचारियों ने शशांक से यह पूछा कि उसे पुलिस अधिकारी बनने की इच्छा क्यों है, तो उसने बताया कि वह शराब पीकर महिलाओं और बच्चों का उत्पीडऩ करने वालों को सजा देना चाहता है। वह समाज को शराब से मुक्ति दिलाना चाहता है। शशांक से सवाल किया गया कि समाज मेंं शांति कैसे बनाए रखी जा सकती है। उसने बताया कि सबसे पहले नागरिकों का सहयोग होना चाहिए। हर माह नागरिक और पुलिस के बीच संवाद कार्यक्रम होना चाहिए। रात के समय पुलिस को अधिक गश्त करने के अलावा अपराध करने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहिए। आरोपियों को शीघ्र सजा मिले तो अपराध कम हो सकते हंै।