
इस्कॉन मंदिर में दशहरा मनाया
मैसूरु. इस्कॉन के श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में आयोजित दशहरा में रावण, मेघनाथ, कुंभकरण की 60 फीट ऊंची प्रतिकृतियों का श्रीरामचंद्र भगवान के प्रतिरुप नन्हें बालकों ने दहन किया। इस अवसर पर इस्कॉन बेंगलूरु के अध्यक्ष मधुपंडितदास प्रभु, चेन्नई अध्यक्ष स्तोककृष्णदास प्रभु, वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास प्रभु, मैसूरु अध्यक्ष जयचैतन्यदास प्रभु, पूर्व एमएलसी मधुसूदन व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। भक्तों को प्रसाद वितरित किया।
अश्व महोत्सव धूमधाम से संपन्न
मंड्या. पांडवपुर तहसील के मेलकोट में स्थित चलवनारायण स्वामी देवस्थान में शुक्रवार रात को विजयादशमी पर अश्व महोत्सव मनाया गया। देवस्थान में विराजमान प्रतिमा को देर शाम पालकी में बैठाकर मुख्य मार्गों से शोभायात्रा निकाली गई। श्रद्धालु जय गोविंदा, जय गोपाल के जयकारे लगाते चल रहे थे। महोत्सव में पाडवपुरा, जकणहल्ली, श्रीरंगपट्टन, मंड्या सहित आसपास क्षेत्रों से बड़ी संख्या श्रद्धालु शामिल हुए।
धार्मिक पाठशाला का वार्षिकोत्सव आज
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चामराजपेट के अंतर्गत संचालित वद्र्धमान जैन धार्मिक पाठशाला का 10वां वार्षिकोत्सव रविवार को दोपहर 2 बजे जैन स्थानक में साध्वी वीरकांता आदि ठाणा 4 के सान्निध्य में आयोजित होगा। मुख्य अतिथि कर्नाटक जैन स्वाध्याय संघ के अध्यक्ष छगनमल लुणावत, विशिष्ट अतिथि संघ संचालक शांतिलाल बोहरा, सरोजबाई बोहरा होंगे।
श्रुतज्ञान ही शासन का आधार
बेंगलूरु. शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा कि जिनवाणी के रहस्यवेता उपाध्याय परमेष्ठी स्वयं शास्त्रों में पारंगत है एवं दूसरों को ज्ञान देने में सदैव तत्पर रहते हैं। जैसे तीर्थंकर तीर्थ की स्थापना करते हैं, आचार्य तीर्थ को चलाने का कार्य करते हैं तो श्रुतज्ञानी उपाध्याय तीर्थ की रक्षा करते हैं, क्यांकि श्रुतज्ञान ही तो शासन का आधार है। उपाध्याय का मुख्य कार्य, ज्ञानोपासना। वे स्वयं श्रुत के ज्ञाता है और अन्य को भी श्रुत का अध्ययन कराते हैं। श्रुतज्ञान सच्ची दौलत है।
जागी दिवला री ज्योतां जागी रे...
मैसूरु. हासन के अरसीकेरे के युवा गरबा मंडल के तत्वावधान में विष्णु समाज एवं गुजराती समाज द्वारा नवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष्य में परमेश्वर कल्याण मंडप में नौ दिवसीय डांडिया गरबा नृत्य आयोजित किया गया। मां चामुंडा की तस्वीर पर पुष्पाहार अर्पित कर एवं ज्योज प्रज्वलित कर धर्मसभा शुरू हुई। पुरुष, महिलााओं व बच्चों ने डांडिया थामे पंछीडा रे उड़ ने जाईजे पावागढ रे म्हारी माँ काली ने जाय ने केजो गरबा रमे रे..., झिणी झिणी उड़ी रे गुलाल माता जी थारे मन्दिरीये..., चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है....आदि राजस्थानी लोक गीतों पर जमकर नृत्य किया। बड़ी संख्या में राजस्थानी व गुजराती भक्त मौजूद रहे।
Published on:
21 Oct 2018 03:49 pm
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