
धूल फांक रही 2 करोड़ की सीटी स्कैन मशीन
बेंगलूरु. मशीन होने के बावजूद मरीजों का सीटी स्कैन नहीं हो पा रहा है। मशीन आने के छह महीने के बाद भी करोड़ों की लागत वाली मशीन धूल फांक रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन और विक्टोरिया सरकारी अस्पताल परिसर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रो यूरोलॉजी (आइएनयू) के मरीज एक से दूसरे विभाग भटकने पर मजबूर हैं।
दूसरे विभाग में सीटी स्कैन कराने के कारण रिपोर्ट आने में दो से चार दिन का समय लगता है। तब तक मरीज को आगे के उपचार के लिए इंतजार करना पड़ता है। हालांकि स्कैन की फिल्म कम्प्यूटर पर जल्द ही अपलोड की जाती है। जिसे विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से अन्य विभाग या अस्पताल के चिकित्सक अपने कम्प्यूटर पर देख सकते हैं, लेकिन हर विभाग के पास ये सॉफ्टवेयर नहीं होने या प्रभावी संचार के अभाव में चिकित्सक फिल्म नहीं देख पाते या फिर गरीब मरीजों के लिए इतनी जहमत नहीं उठाने चाहते हैं।
रिपोर्ट के इंतजार में, तीन दिन अस्पताल में
एक मरीज के अनुसार सीटी स्कैन रिपोर्ट के इंतजार में उसे अतिरिक्त तीन दिन आइएनयू में भर्ती रहना पड़ा। मरीज के परिजनों ने बताया कि दो अस्पताल के दो विभागों के बीच मरीज पिस गए। मरीज को देखने के लिए जब भी चिकित्सक वार्ड आते, रिपोर्ट और फिल्म मांगते। विक्टोरिया डायग्नोस्टिक के चिकित्सक ने कम्प्यूटर पर फिल्म देखने की बात कही है, ऐसा बताने पर चिकित्सक आनाकानी करते और देखेंगे बोल चले जाते। तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा। रिपोर्ट आने पर कोई विशेष समस्या नहीं होने की पुष्टि हुई। तब जाकर चिकित्सकों ने मरीज को छुट्टी दी।
कब्जा और दबदबा सब पर भारी
एक चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'चिकित्सा शिक्षा विभाग की अनुमति के बाद करीब छह माह पहले मशीन आ गई थी। जिसकी कीमत करीब दो करोड़ रुपए है। चिकित्सकों की आपसी लड़ाई के कारण मशीन नहीं लगी।
जिस कमरे में मशीन लगनी थी, उस पर एक वरिष्ठ चिकित्सक का कब्जा है। उस चिकित्सक का अस्पताल में दबदबा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी इसकी जानकारी है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि मशीन आवंटन के बाद उनकी जिम्मेदारी खत्म हो गई है। अब आइएनयू और चिकित्सक तय करें कि मशीन का क्या करना है।Ó
माइनर ओटी कक्ष देने से किया मना
एक अन्य चिकित्सक के अनुसार मशीन पहले माइनर ओटी (ऑपरेशन थिएटर) में लगनी थी। माइनर ओटी को मेजर ओटी में शिफ्ट करना था। लेकिन एक वरिष्ठ चिकित्सक ने माइनर ओटी कक्ष देने से मना कर दिया। जिसके बाद एक्स-रे कक्ष में मशीन लगाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए एक्स-रे मशीन को एक्ट्राकॉर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (इएसडब्लूएल) कक्ष में और ईएसडब्लूएल कक्ष को मेजर ओटी में शिफ्ट किया गया।
लाखों खर्च, सेवा बाधित, मरीज परेशान
पूरी प्रक्रिया में करीब तीन लाख रुपए अतिरिक्त खर्च हुए। जो जनता का पैसा है। एक्स-रे सेवा करीब दो महीने तक बाधित रही। मरीजों को एक्स-रे के लिए विक्टोरिया अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ा। मशीन के रखे-रखे खराब होने की स्थिति में लाखों रुपए का अतिरिक्त खर्चा आएगा।
क्या कहते हैं निदेशक
सीटी स्कैन मशीन लगाने की प्रक्रिया तेजी से जारी है। कक्ष को लेकर कुछ चिकित्सकों के बीच समस्या थी, लेकिन देरी के और भी तकनीकी कारण हैं। कुछ जरूरी प्रक्रिया बाकी है। जैसे, अलग से बिजली लाइन लेनी है, जिस पर करीब 45 लाख रुपए का खर्चा आएगा। विधानसभा चुनाव आदर्श संहिता के कारण भी इंतजार करना पड़ा। फिलहाल सब कुछ ट्रैक पर है। कुछ सप्ताह में सीटी स्कैन सेवा शुरू होगी। मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा।
डॉ. शिवलिंगय्या एम.,निदेशक, आईएनयू (स्वायत्त)
Published on:
26 Jun 2018 03:52 pm
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