
मिट्टी खनन, रेत दोहन और अतिक्रमण से बीयू परेशान
- वृषभावती नदी बनी कचरा डंपिंग जोन
- पेड़ तक काट कर ले जाते हैं
बेंगलूरु.
बेंगलूरु विश्वविद्यालय (बीयू) और इसके सैकड़ों एकड़ परिसर की लाल मिट्टी बीयू के लिए परेशानी का सबब बन गई है। खनन माफिया के लोग डंके की चोट पर ट्रकों में भरकर मिट्टी ले जाते हैं। मिट्टी ही नहीं बीयू के जंगलों से गुजरने वाली वृषभावती नदी की रेत पर भी माफिया की नजर है। बड़े पैमाने पर बालू का दोहन हो रहा है।
बीयू प्रशासन ने बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) से शिकायत भी की है। बीबीएमपी के अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन प्रोफेसरों का कहना है कि पहले भी कई बार शिकायत की गई है। लाल मिट्टी और रेत की लूट जारी है। रात में नदी के आसपास से लोग पेड़ तक काट ले जा रहे हैं।
लाल मिट्टी का इस्तेमाल ईंट निर्माण में होता है। निर्माण उद्योग में भी लाल मिट्टी और रेत की भारी मांग है। मिट्टी और रेत माफिया के बारे में जानकारी होने के बावजूद बीबीएमपी और प्रदेश सरकार पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगने लगे हैं। प्रो. प्रसाद ने बताया कि लॉरी और ट्रैक्टरों को प्रत्येक लोड के लिए 500 से हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। कुछ दिन पहले उन्होंने ट्रैक्टरों को रोकने की कोशिश की तो लोगों ने कहा कि यह भूमि उनकी है। उन्होंने डराया-धमकाया भी गया।
नहीं बनी बात
प्रो. प्रसाद के अनुसार बीयू में भूमि अतिक्रमण, लाल मिट्टी और रेत खनन कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2012 में जब उनके पास भूमि संरक्षण विशेष अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार था, तब उन्होंने 227 एकड़ भूमि पर कब्जे की रिपोर्ट दी थी। वर्ष 2017 में बीयू के तत्कालीन कुलसचिव प्रो. केएन निंगेगौड़ा ने एक हजार एकड़ से ज्यादा भूमि पर गैर कानूनी कब्जे की बात कही थी।
वृषभावती कभी बुझाती थी शहर की प्यास
शहर और इसके आसपास से निकलकर अर्कावती नदी में मिलने वाली वृषभावती की कुल लंबाई 52 किलोमीटर है। यह पीनिया के जंगलों से निकल कर शहर को पानी की आपूर्ति करते हुए बहती थी। वृषभावती में कई छोटी नदियां आकर मिलती रही हैं। जानकारों की मानें तो आज से लगभग 25 वर्ष पहले तक शहरवासियों को जल आपूर्ति का अहम माध्यम यही नदी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि जहां एक ओर वृषभावती गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है, वहीं उसकी सहायक नदियां नाला बन चुकी हैं।
बीयू जैव विविधता पार्क के समन्वयक प्रो. टीजे रेणुका प्रसाद ने बताया कि बीयू के गांधी भवन के पास नदी की हालत बेहद खराब है। नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। वृषभावती के गंदे पानी में औद्योगिक कचरा होने की वजह से इसमें क्रोमियम, कैडमियम, लीड, जिंक, मैगनीज, निकेल आदि भारी धातुएं प्रचुरता से पाए जाते हैं। उन्होंने बीबीएमपी जल निकासी विभाग से कई बार शिकायत की है। बालू का खनन भी जारी है।
करेंगे कार्रवाई
बीबीएमपी के आयुक्त बीएच अनिल कुमार ने कहा कि बीयू परिसर और आसपास के जंगल क्षेत्र से लाल मिट्टी और रेत खनन की शिकायत मिली है। बीबीएमपी के इंजीनियर स्थिति का जायजा लेंगे। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई जरूर होगी।
Published on:
28 Nov 2019 05:22 pm
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