लॉकडाउन के कारण काफी समय गंवाया, अब इस साल असंभव: शिवन
इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा ‘मानव रहित मिशन अब इस वर्ष लांच करना असंभव है। हमने लॉकडाउन के कारण काफी समय गंवा दिया है। अब इसमें गति आई है लेकिन, मिशन अब अगले वर्ष जून के आसपास ही लांच हो पाएगा।’ दरअसल, गगनयान कार्यक्रम में आया यह बदलाव पूरे मिशन की समय-सीमा को प्रभावित करेगा। इसरो ने पहले वर्ष 2022 तक मानव अंतरिक्ष मिशन लांच करने की योजना बनाई थी लेकिन, अब यह समय-सीमा आगे बढ़ेगी।
इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा ‘मानव रहित मिशन अब इस वर्ष लांच करना असंभव है। हमने लॉकडाउन के कारण काफी समय गंवा दिया है। अब इसमें गति आई है लेकिन, मिशन अब अगले वर्ष जून के आसपास ही लांच हो पाएगा।’ दरअसल, गगनयान कार्यक्रम में आया यह बदलाव पूरे मिशन की समय-सीमा को प्रभावित करेगा। इसरो ने पहले वर्ष 2022 तक मानव अंतरिक्ष मिशन लांच करने की योजना बनाई थी लेकिन, अब यह समय-सीमा आगे बढ़ेगी।
कई दिनों तक धरती की कक्षा में रहेगा पहला मिशन
इस बीच मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पहला मानव रहित मिशन कई दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। संभव है कि मिशन धरती की कक्षा में एक सप्ताह गुजारे। लेकिन, अंतत: मानव रहित मिशन में प्रयोग की जाने वाली सभी प्रणालियां मानव मिशन का हिस्सा नहीं होंगी। शिवन ने कहा ‘मिशन लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहेगा। हम हर प्रणालियों को अत्यंत चरम परिस्थितियों में परखना चाहते हैं। लेकिन, यह कितने दिनों तक धरती की कक्षा में रहेगा यह अभी तय नहीं किया गया है।’ लेकिन, पहले मिशन में लाइफ सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण नहीं किया जाएगा।
इस बीच मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पहला मानव रहित मिशन कई दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। संभव है कि मिशन धरती की कक्षा में एक सप्ताह गुजारे। लेकिन, अंतत: मानव रहित मिशन में प्रयोग की जाने वाली सभी प्रणालियां मानव मिशन का हिस्सा नहीं होंगी। शिवन ने कहा ‘मिशन लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहेगा। हम हर प्रणालियों को अत्यंत चरम परिस्थितियों में परखना चाहते हैं। लेकिन, यह कितने दिनों तक धरती की कक्षा में रहेगा यह अभी तय नहीं किया गया है।’ लेकिन, पहले मिशन में लाइफ सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण नहीं किया जाएगा।
पहले मिशन में लाइफ सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण नहीं
शिवन ने कहा ‘इस मिशन में पर्यावरण और लाइफ सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण नहीं किया जाएगा। जहां तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम का सवाल है तो उसके पहले अत्यंत गहन जमीनी परीक्षण आवश्यक होंगे। अंतरिक्ष में परीक्षण महत्वपूर्ण हैं लेकिन, उसके पहले उन तमाम प्रणालियों का हम जमीनी परीक्षण करेंगे। उसके बाद उन तमाम प्रणालियों का उपयोग दूसरे मानव रहित मिशन में किया जाएगा और परखा जाएगा।’ दरअसल, इन तमाम प्रणालियों का विकास काफी चुनौतीपूर्ण है। शिवन ने कहा कि इसरो इनका विकास स्वदेशी तकनीक से कर रहा है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि कुछ अंतरिक्ष एजेंसियां भी इसमें मदद कर रही हैं।
शिवन ने कहा ‘इस मिशन में पर्यावरण और लाइफ सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण नहीं किया जाएगा। जहां तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम का सवाल है तो उसके पहले अत्यंत गहन जमीनी परीक्षण आवश्यक होंगे। अंतरिक्ष में परीक्षण महत्वपूर्ण हैं लेकिन, उसके पहले उन तमाम प्रणालियों का हम जमीनी परीक्षण करेंगे। उसके बाद उन तमाम प्रणालियों का उपयोग दूसरे मानव रहित मिशन में किया जाएगा और परखा जाएगा।’ दरअसल, इन तमाम प्रणालियों का विकास काफी चुनौतीपूर्ण है। शिवन ने कहा कि इसरो इनका विकास स्वदेशी तकनीक से कर रहा है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि कुछ अंतरिक्ष एजेंसियां भी इसमें मदद कर रही हैं।
व्योममित्रा भर सकती है उड़ान
शिवन ने बताया कि पहले मानव रहित मिशन में मुख्यत: उड़ान प्रणालियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें मानव रेटिंग प्रक्षेपण यान को परखा जाएगा जबकि कू्र मॉड्यूल की ट्रैकिंग, कू्र मॉड्यूल को धरती की कक्षा में स्थापित करना, परखना और पुन: उसे धरती पर उतारना लक्ष्य होगा। वापसी के दौरान थर्मल प्रोटेक्शन और अन्य प्रणालियों की जांच होगी। मानव रोबोट व्योममित्रा को भी पहले मिशन में भेजा जा सकता है।
शिवन ने बताया कि पहले मानव रहित मिशन में मुख्यत: उड़ान प्रणालियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें मानव रेटिंग प्रक्षेपण यान को परखा जाएगा जबकि कू्र मॉड्यूल की ट्रैकिंग, कू्र मॉड्यूल को धरती की कक्षा में स्थापित करना, परखना और पुन: उसे धरती पर उतारना लक्ष्य होगा। वापसी के दौरान थर्मल प्रोटेक्शन और अन्य प्रणालियों की जांच होगी। मानव रोबोट व्योममित्रा को भी पहले मिशन में भेजा जा सकता है।