
बेंगलूरु. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि भागवत गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि भारत वंशी जब भी और जहां भी धार्मिक आचरण में कमी आती है, अधर्म बढ़ता है उस समय मैं स्वयं अवतार लेता हूं। जब संसार में ईश्वरीय चेतना क्षीण हो रही है और अधर्म बढ़ रहा है। उस समय चैतन्य महाप्रभु का अवतार हुआ। चैतन्य महाप्रभु भक्ति आन्दोलन के महान संत, समाज सुधारक और कृष्ण भक्त थे। जिन्होंने इस युग में प्रेम और भक्ति के माध्यम से समाज को दिव्य आध्यात्मिकता का मार्ग दर्शन किया है, प्रेरणादायी बातें कही हैं। राज्यपाल रविवार को राजाजीनगर स्थित इस्कॉन मंदिर के सभागार में चैतन्य महाप्रभु के जीवन पर आधारित पुस्तक विश्वंभर का विमोचन करने के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
गहलोत ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं आध्यात्मिक समानता, भाई चारा और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित हैं। उनका मुख्य संदेश हरे नाम संकीर्तन है जिसका अर्थ है भगवान के नाम का सामूहिक जप और कीर्तन है। राज्यपाल ने कहा कि ‘चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि इस युग में भक्ति का सबसे सरल और प्रभावी साधन भगवान के नाम का जाप और कीर्तन करना है’। उनका प्रमुख मंत्र था हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे। उनका मानना था कि भगवान के नाम का सच्चे हृदय से जप करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और ईश्वर की कृपा उनको प्राप्त होती है। चैतन्य महाप्रभ्र चाहते थे कि भगवान कृष्ण के पवित्र नामों का जाप हर शहर और गावों मेंं किया जाए। उनकी इस दिव्य सोच को इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रीला प्रभुपाद ने देश और दुनिया में आगे बढ़ाया है। हमें इसको अंगीकार करके इसको और प्रचारित करने की जरूरत है। श्रीला प्रभुपाद ने गीता के संदेशों को पश्चिम देशों तक पहुंचाया है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठ कार्य करने वालों का सम्मान भी किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु के जीवन पर आधारित पुस्तक विश्वंभर का विमोचन किया गया है। इस पुस्तक में जो भी बातें उल्लेखित हैं उनके बारे में नारायण भट्ट ने हमें अच्छी तरह से बताया है। ये पुस्तक बहुत अच्छे कागज पर प्रिंट की गई है। अच्छे अक्षरों में प्रिंट की गई है। 586 पृष्ठ में पूरी जीवनी संकलित की गई है। उन्होंने इस्कॉन से जुड़े सभी लोगों से कहा कि इस पुस्तक को एक बार जरूर पढ़ें। इस पुस्तक को पढऩे के बाद निश्चित रूप से धार्मिक, साहित्यक और कृष्ण भक्ति से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। मैं इस पुनीत कार्य के लिए डॉ. नारायण भट्ट व उनकी टीम को बधाई देता हूं।
इन्होंने भी किया सम्बोधित
व्सासराज मठ सोसले केपीठाधिपति विद्याश्रीश तीर्थ स्वामी, कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मल्लेपुरम जी. वेंकटेश, अभिनेता और फिल्म निर्देशक प्रकाश बेलवाड़ी, इस्कॉन मैसूरु के अध्यक्ष स्तोका कृष्ण स्वामी, इस्कॉन बेंगलूरु के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चंचलपति दास ने भी विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व विश्वंभर पुस्तक के लेखक डॉ. नारायण भट्ट मोगसाले ने पुस्तक की विषय वस्तु से अवगत कराया। उन्होंने चैतन्य महाप्रभु की महानता का बखान किया। कार्यक्रम का संचालन माधवी ने किया।
Published on:
08 Dec 2024 06:07 pm
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