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जियो-टैगिंग से चिन्हित होंगे घर, बिजली मीटर बनेगा आधार

राज्य में करीब 1.7 करोड़ बिजली कनेक्शन हैं और इन्हें सूचीबद्ध करना सर्वेक्षण की आधारभूत तैयारी का हिस्सा होगा। मीटर रीडर घर-घर जाकर न केवल बिजली कनेक्शन की पहचान करेंगे, बल्कि हर घर को जियो-टैग भी करेंगे।

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  • राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का नया प्रयोग, जाति जनगणना का पहला चरण 22 सितंबर से

Karnataka राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग जाति जनगणना Caste Census के लिए इस बार एक नया और अनोखा तरीका अपनाने जा रहा है। आयोग 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक होने वाले दूसरे सामाजिक-शैक्षणिक सर्वेक्षण (जाति जनगणना) से पहले राज्यभर के घरों की सूची घरेलू बिजली कनेक्शन के आधार पर तैयार करेगा। देश में पहली बार जाति जनगणना में बिजली कनेक्शन (आरआर नंबर यानी राजस्व रजिस्टर) का उपयोग घरों की पहचान और लोकेशन मैपिंग के लिए किया जाएगा।

आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक ने बताया कि सर्वे दो चरणों में होगा। पहले चरण में घरों की सूची तैयार करने के साथ ही जियो-मैपिंग होगी जबकि दूसरे चरण में सामाजिक और शैक्षिक विवरण संग्रहित किया जाएगा। नाइक ने कहा, राज्य में करीब 1.7 करोड़ बिजली कनेक्शन हैं और इन्हें सूचीबद्ध करना सर्वेक्षण की आधारभूत तैयारी का हिस्सा होगा। मीटर रीडर घर-घर जाकर न केवल बिजली कनेक्शन की पहचान करेंगे, बल्कि हर घर को जियो-टैग भी करेंगे। इसके लिए ई-गवर्नेंस विभाग ने एक विशेष ऐप तैयार किया है, जो मीटर रीडर के डिवाइस पर डाउनलोड किया जाएगा। सर्वेक्षण के दौरान हर घर को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा और उसकी पहचान के लिए स्टिकर भी लगाया जाएगा।

नाइक ने कहा, हम मतदाता सूची का उपयोग नहीं करेंगे क्योंकि इसे लेकर विवाद है। 2011 की जनगणना के आंकड़े भी अब बहुत पुराने हो चुके हैं। इसलिए हमने घरेलू बिजली कनेक्शन को आधार बनाने का निर्णय लिया है। जिन घरों में बिजली कनेक्शन नहीं हैं, उन्हें भी छोड़ा नहीं जाएगा। उनके लिए राशन कार्ड और आधार जैसे अन्य डाटाबेस से जानकारी जुटाई जाएगी। अपार्टमेंट्स और क्लस्टर्स को भी बिना किसी चूक के सर्वेक्षण में शामिल किया जाएगा। जीआइएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) और जियो-टैगिंग से प्रत्येक घर को डिजिटल पहचान मिलेगी। हर घर पर एक यूनिक नंबर वाला स्टिकर चिपकाया जाएगा, जिससे आगे के चरणों में डेटा कलेक्शन आसान होगा।

यह सर्वेक्षण 2015 में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष कांतराज के समय किए गए पहले सर्वेक्षण के बाद हो रहा है, जिसकी रिपोर्ट 2024 में जयप्रकाश हेगड़े आयोग ने सरकार को सौंपी थी। हालांकि, वह रिपोर्ट अब पुरानी मानी जा रही है, इसलिए सरकार ने नया सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है।