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बिना फंड आंवटन किए कैसे दौड़ेगी उपनगरीय रेल?

सार्वजनिक परिवहन के लिए हुई सिर्फ हवा-हवाई घोषणाएं

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बिना फंड आंवटन किए कैसे दौड़ेगी उपनगरीय रेल?

बेंगलूरु. 'ब्रांड बेंगलूरु' को सबसे विश्वसनीय निवेश एवं व्यवसाय हितैषी गंतव्य बनाए रखने के लिए राज्य बजट 2019-20 में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कई लोकलुभावन घोषणाएं की, लेकिन यातायात चुनौतियों से जूझ रहे शहर में सार्वजनिक परिवहन को उन्नत करने की दिशा में सरकार ने खजाने का मुंह नहीं खोला है।
बहु-वैकल्पिक सार्वजनिक परिवहन के लिए संघर्ष कर रहे बेंगलूरुवासियों को बजट से निराश होना पड़ा है। दरअसल बजट में उपनगरीय रेल, नम्मा मेट्रो और बीएमटीसी से संबद्ध कई परियोजनाएं गिनाई जरुर गई लेकिन किसी भी परिवहन निकाय को फंड आवंटित करने पर मुख्यमंत्री ने चुप्पी साध ली। इतना ही नहीं बजट में सार्वजनिक परिवहन से संबद्ध ज्यादा उन परियोजनाओं को गिनाने का काम किया गया है जो निर्माणाधीन हैं या पहले ही राज्य मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत हो चुकी हैं।
बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने भी माना कि बेंगलूरु में सुगम परिवहन सबसे बड़ी परेशानी है। उन्होंने कहा कि दर्जनों फ्लाइओवरों और अंडरपासों के निर्माण तथा सड़क चौड़ीकरण और मेट्रो परिचालन के बाद भी बेंगलूरु की सड़कों पर नियमित रूप से जाम लगता है। निजी वाहनों की संख्या नियंत्रित करने की राष्ट्रीय नीति के अभाव में इस पर नियंत्रण भी नहीं किया जा सकता। इसलिए कुमारस्वामी ने सार्वजनिक परिवहन को उन्नत करने की वकालत की, लेकिन बिना फंड आवंटन के इसे कैसे साकार किया जा सकता है इस रहस्य का खुलासा मुख्यमंत्री ने नहीं किया।
दूर का सपना बना है उपनगरीय रेल
बजट में कहा गया है कि उपनगरीय रेल नीति -2018 में कुछ संशोधनों को अपनाकर, परियोजना को अनुमानित लागत 23,093 करोड़ रुपए में क्रियान्वित किया जाएगा। राज्य और केंद्र सरकार के बीच साझेदारी के तहत एक विशेष निकाय (एसपीवी) को बेंगूलरु रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंटिटी (बी-राइड) नाम दिया गया। हालांकि, आगामी वित्त वर्ष में उपनगरीय रेल या बी-राइड के लिए कोई आवंटन नहीं किया गया। इससे स्पष्ट है कि बिना वित्त वाली इस परियोजना के निकट भविष्य में जमीनी हकीकत बनने के आसार धूमिल हैं। उप नगरीय रेल का इंतजार लंबा खिंचेगा।
मेट्रो के लिए भी मायूसी भरा बजट
पर्यावरण हितैषी और सबसे विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन विकल्प बन रहे नम्मा मेट्रो की विस्तारित परियोजनाओं के लिए भी बजट में कोई नया फंड आवंटन नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि नम्मा मेट्रो का विस्तारित केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (केआइए) तक किया जाएगा। हालांकि कुछ सप्ताह पूर्व ही राज्य सरकार ने केआरपुर-हेब्बाल-केआइए लाइन की16579 करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी दे दी है। ऐसे में यह स्वीकृत परियोजना को सिर्फ नए सिरे से बताया गया है। इसी प्रकार तीन कोचों वाली मेट्रो को छह कोचों में बदलने का काम शुरू हो गया है और कुमारस्वामी ने ही कुछ ट्रेनों को झंडी भी दिखाई है लेकिन बजट में एक बार फिर से इसी बात को दोहराया गया। विस्तारित मेट्रो खंडों को आवंटन और निर्माणाधीन फेज-2 के पूर्ण होने की समय सीमा पर मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा जबकि लोगों को इसी का बेसब्री से इंतजार था। मेट्रो को केंगेरी से चल्लघट्टा तक विस्तारित करने की घोषणा जरुर की गई लेकिन फंड आवंटन पर कुछ नहीं कहा गया।
इलेक्ट्रिक बस परियोजना पर चुप्पी
बीएमटीसी सेवाओं को पर्यावरण हितैषी बनाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल करने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। बजट में मुख्यमंत्री ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा। हालांकि उन्होंने एक आम घोषणा करते हुए कहा कि बीएमटीसी के बेड़े में बसों की संख्या बढाने के लिए अगले वर्ष बीएमटीसी को विशेष अनुदान जारी होगा। इस घोषणा में भी न तो अगले वर्ष में यह स्पष्ट किया गया है कि वह वित्त वर्ष 2019-20 होगा या अगले वर्ष 2020 में पेश होने वाले बजट में अनुदान शामिल किया जाएगा। बसों की संख्या बढ़ाने और इलेक्ट्रिक बसों पर मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा।