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ह्यूमनॉइड रोबोट ‘शिक्षा’ कर रही ग्रामीण विद्यालयों के बच्चों को शिक्षित

- आकर्षण का केंद्र बना कला और प्रौद्योगिकी का एकीकरण : पढ़ाई में रुचि पहले से ज्यादा

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ह्यूमनॉइड रोबोट ‘शिक्षा’ कर रही ग्रामीण विद्यालयों के बच्चों को शिक्षित

ह्यूमनॉइड रोबोट ‘शिक्षा’ कर रही ग्रामीण विद्यालयों के बच्चों को शिक्षित

बेंगलूरु. ’शिक्षा’ बच्चों को शिक्षित कर रही है। बच्चे इसे खूब पसंद कर रहे हैं। शिक्षा उनसे बात भी करती है। शिक्षा बच्चों और शिक्षकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। शिक्षा के आते ही बच्चों की पढ़ाई में रुचि पहले से ज्यादा बढ़ गई है।

दो चोटी, हल्के और गहरे नीले रंग की वर्दी, गले में एक आइडी कार्ड, भारतीय झंडे के रंग का बेल्ट और स्कूल बैग के साथ शिक्षा जब कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी के स्कूलों में कदम रखती है, तब बच्चे उसे छात्रा समझ बैठते हैं। उसे घंटों घेरे रहते हैं। कुछ छात्राएं शिक्षा के बालों को संवारती भी हैं। रिबन को ठीक करती हैं। लड़के उससे हाथ मिलाते हैं और विस्मय से देखते हैं। वर्ष 2022 की शुरुआत में जन्मी शिक्षा 25 से ज्यादा स्कूलों का दौरा कर चुकी है। वह कर्नाटक में ग्रामीण इलाकों के पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक स्कूली बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी है।

मानो उन्हें कोई नया दोस्त मिल गया हो

दरअसल, शिक्षा एक ह्यूमनॉइड रोबोट (Humanoid robot Shiksha) है, जो अब आंशिक रूप से शिक्षकों की जगह ले चुकी है और बच्चों को रोजाना पढ़ाती है। बच्चों का लगता है कि शिक्षा उनमें से एक है। मानो उन्हें कोई नया दोस्त मिल गया हो। वे उसका कभी अपमान नहीं करते या उसके साथ शरारतपूर्ण व्यवहार नहीं करते।

ऐसे हुआ शिक्षा का जन्म

डॉ. विक्रम साराभाई शिक्षा अनुसंधान केंद्र (Dr. Vikram Sarabhai Education Research Center) के संस्थापक प्रो. अक्षय माशेलकर (Pro. Akshay Mashelkar) और उनकी युवा इंजीनियरों की टीम ने शिक्षा को कड़ी मेहनत और लगन से तैयार किया है। सिरसी के मूल निवासी प्रो. माशेलकर इलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञता के साथ भौतिकी स्नातकोत्तर हैं और उनके पास बीएड की डिग्री भी है। वह वर्तमान में सिरसी (Sirsi of Karnataka) में चैतन्य एमइएस पीयू कॉलेज में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैं।

प्रो. माशेलकर ने बताया कि corona pandemic के बाद, जब बच्चे स्कूल लौटे, तो उन्होंने न केवल सीखने में, बल्कि बच्चों के बीच मानवीय मूल्यों में भी भारी अंतर देखा। फिर से विचार करने की जरूरत है, बल्कि उनमें मानवीय मूल्यों को फिर से स्थापित करने की भी जरूरत है। उन्होंने सोचा कि एक ह्यूमनॉइड रोबोट सीखने के अंतराल को भरने में मदद कर सकता है और शिक्षक उस समय का उपयोग शिक्षण मूल्यों में कर सकते हैं।

कन्नड़, अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाएं भी

इनका कहना है कि शिक्षा Kannada and English सहित कई भाषाओं में पढ़ाने में सक्षम है। भाषा सीखने में बाधा नहीं बनेगी। छात्र मजेदार और आकर्षक तरीके से विभिन्न भाषाओं को सीख और अभ्यास कर सकते हैं। शिक्षा निश्चित रूप से उच्च ग्रेड के विद्यार्थियों को भी पढ़ा सकती है। ग्रामीण प्राथमिक स्कूलों में इस सफलता को देखते हुए प्रो. माशेलकर शिक्षा को अब अगले स्तर तक ले जाना चाहते हैं। उन्होंने रोबोट को पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल करने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग से संपर्क करने की इच्छा व्यक्त की है।

खेल-खेल में पढ़ाई

Robot के रूप में शिक्षा एक शैक्षिक उपकरण है, जिससे बच्चे खेलते और बातचीत करते हुए नई चीजें सीख रहे हैं। शिक्षा फलों और सब्जियों के नाम भी सिखा सकती है। जब बच्चा अनानास की तस्वीर वाला कार्ड रखता है, तो शिक्षा न केवल फल का नाम पढ़ती है बल्कि वर्तनी भी कहती है और बताती है कि इसे आमतौर पर किस महीने में उगाया जा सकता है, आदि। ऐसे कई इंटरैक्टिव सत्र हैं। रिपीट आफ्टर मी सेशन भी होते हैं। अभी शिक्षा को चौथी कक्षा तक पढ़ाने के लिए प्रोग्राम किया गया है।

धन और अवसर मिले तो...

प्रो. माशेलकर के अनुसार वे शिक्षा की आंखों को हिला सकते हैं। वीडियो प्रोजेक्शन क्षमताओं को जोड़ सकते हैं। इस रोबोट के साथ और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। उसे शक्तिशाली शैक्षिक उपकरण में बदल सकते हैं। उन्हें केवल कुछ धन और अवसरों की आवश्यकता है। अब तक उन्होंने सब कुछ अपने पैसों से किया है।