29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ख्वाजा बंदे नवाज विश्वविद्यालय की मंजूरी पर हुसैनी का सम्मान

ख्वाजा बंदे नवाज विश्वविद्यालय की मंजूरी के लिये ख्वाजा बंदे नवाज दरगाह के सज्जादे सैयद शाह गेसूदरास हुसेनी अलयीस खुसरो हुसैनी का सम्मान किया गया।

2 min read
Google source verification
ख्वाजा बंदे नवाज विश्वविद्यालय की मंजूरी पर हुसैनी का सम्मान

ख्वाजा बंदे नवाज विश्वविद्यालय की मंजूरी पर हुसैनी का सम्मान

बीदर. ख्वाजा बंदे नवाज विश्वविद्यालय की मंजूरी के लिये ख्वाजा बंदे नवाज दरगाह के सज्जादे सैयद शाह गेसूदरास हुसेनी अलयीस खुसरो हुसैनी का सम्मान किया गया। शहर में हैदराबाद कर्नाटक राजनीतिक फोरम की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में हुसैनी ने कहा ख्वाजा बंदे नवाज विश्वविद्यालय की मंजूरी के लिये वे राज्य सरकार के आभारी हैं। इस विश्वविद्यालय से अल्पसंख्यक तथा पिछडा वर्ग के युवाओं को शिक्षण हासिल करने में आसानी होगी।

गुलबर्गा में के.बी.एन.शिक्षण संस्था वर्षों से अल्पसंख्यकों की सेवा करती आई है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना का लक्ष्य लोगों की सेवा तथा युवाओं को अच्छी शिक्षा देना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान, पूर्व सांसद तथा तेलंगाना कांग्रेस कमेटी के कार्याध्यक्ष मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कहा के.बी.एन. विश्वविद्यालय की स्थापना से क्षेत्र के गरीब युवाओं को शिक्षा हासिल करने में सहायता होगी।

युवाओं को चाहिये कि वे अपना अधिक समय शिक्षा हासिल करने में लगाएं न कि अपना समय व्यर्थ करें। अजहरुद्दीन ने स्पष्ट किया कि वे आने वाले लोकसभा चुनाव में बीदर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और पत्रकारों से आग्रह किया कि ऐसी किसी भी अफवाह को अहमियत न दें। सज्जादे खुसरो हुसेनी का फोरम के संचालक डा. मकसूद चंदा ने फूल तथा शाल पहना कर व स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया। उन्होंने कहा कि मदरसा महमूद गावन विश्वविद्यालय सात सौ वर्ष पहले बीदर में स्थापित हुआ था, अब सात सौ साल बाद एक अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय गुलबर्गा में स्थापित हुआ है।

गर्भस्थ शिशु को मिली नई जिंदगी
बेंगलूरु. गर्भावस्था के १५वें सप्ताह में ओवेरियन (अंडाशय) सिस्ट सामने आने के बाद शहर के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर इसे सफलतापूर्वक निकाल लिया। जिससे महिला, गर्भस्थ शिशु की जिंदगी बची। गर्भस्थ शिशु पर भी मौत का खतरा टल गया। पूरे मामले में राहत की बात यह रही कि सिस्ट कैंसरयुक्त नहीं था। समय रहते इसकी पहचान हो गई। सक्रा अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शांतला तुप्पन्ना ने बताया कि ओवेरियन सिस्ट अंडाशय के भीतर तरल पदार्थ से भरी हुई थैली होती है। इस मामले में थैली का आकार २५ गुणा २५ सेमी था। थैली में करीब चार लीटर पानी था। लैप्रोस्कोपी सर्जरी कर सिस्ट को निकाला गया।


थैली ज्यादा बड़ी हो जाती तो गर्भाशय को भी निकालने की नौबत आ जाती। डॉ. शांतला ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान दो प्रतिशत मामलों में ओवेरियन सिस्ट होने का खतरा रहता है। आनुवांशिक प्रभाव, मोटापा, कम उम्र में माहवारी की शुरुआत, गर्भधारण में समस्या या फिर हॉर्मोन्स का असंतुलन ओवेरियन सिस्ट के प्रमुख कारण हैं।