
जिनशासन का प्रभावक सिद्ध मंत्र है तो वह है नवकार मंत्र
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में उपधान तप आराधना में आचार्य चंद्रयश सूरिश्वर ने कहा कि नमस्कार मंत्र गिनने का अधिकार उपधान होने के बाद ही प्राप्त होता है। जिनशासन का प्रभावक सिद्ध मंत्र है तो वह है नवकार मंत्र। ऋद्धि दाता है तो वह है नवकार मंत्र, सर्व कार्य सिद्धि दाता है तो वह है महामंत्र नवकार। आध्यात्मिक विकास मार्ग का परम सोपान है मंत्र नवकार। नवकार मंत्र तो मोक्ष का द्वार है और ऐसे नवकार मंत्र गिनने का अधिकार उपधान तप के बाद ही प्राप्त होता है। अत: हर जैन श्रावक और नवकार की महिमा बताते हुए कहा नवकार में रहे पंच परमेष्ठी का संग हमें निसंग बनाता है। यह मंत्र शाश्वत है। आदि अनादि मन्त्र है उसका एक एक अक्षर आत्मकल्याणकारी है। नवकार में रहा नमो शब्द हमारे अहंकार को नम्रता में परिवर्तित करता है। क्योंकि चार गति में क्रोध नरक गति लोभ देव गति माया तिर्यंच गति में "और मान(अहंकार) मनुष्य गति में ज्यादा होता है। अभिमानी व्यक्ति साधना क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकता है। अत: ही अभिमान को पाप का मूल कहा गया है। जीवन में से अभिमान को विदा देकर नम्रता और विनय गुण लाना होगा और नवकार जैसी नम्रता विनम्रता कही पर भी नहीं है नवकार सर्व प्रथम यही सिखाता है नम्र बनो विनयवान बनो तो सिद्धियाँ आपके कदम चूमेगी"।
Published on:
16 Oct 2019 05:25 pm
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग
