
ऑनलाइन व्यवस्था से कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र देने में आनाकानी
फैज मुंशी
धारवाड़. कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र (कम्पलीशन सर्टिफिकेट) ऑनलाइन व्यवस्था से देने में महानगर निगम की ना-नुकुर पर सिविल इंजीनियरों ने सवाल उठाया है। निगम के सिविल इंजीनियर्स का कहना है कि हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम में कुछ माह के विलम्ब के पश्चात भवन निर्माण कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र देने वाली व्यवस्था तो जारी है लेकिन ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी करने में क्यों हीला-हवाली की जा रही है।
स्थानीय सिविल इंजीनियरों का कहना है कि माना जाता है कि ऑनलाइन व्यवस्था पारदर्शी तथा जनस्नेही होती है। ऐसे में सीसी देने में भी इसी व्यवस्था को क्यों नहीं अपनाया जा रहा है। ऑनलाइन से भवन निर्माण अनुमति प्रमाणपत्र देने वाले निर्माण-2 तकनीक को नगर निगम ने तीन माह पूर्व ही लागू किया था, परंतु तकनीकी समस्या है या शहर योजना शाखा की लापरवाही है यह पता नहीं है। वह तकनीक दो माह तक कार्य नहीं कर पाई। शहरी विकास विभाग की म्युनिसिपल रिफॉर्म सेल (एमआरसी) ने इस तकनीक को विकसित किया था। निगम अधिकारी तकनीकी समस्या के लिए एमआरसी की ओर इशारा कर रहे हैं।
तकनीकी रूप से सही होना जरूरी
भवन निर्माण प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन सौंपने के दौरान दिए गए नक्शे के अनुसार भवन निर्माण होना चाहिए। नियमानुसार सेटबैक छोडऩा चाहिए। एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। इन सबकी समीक्षा कर सीसी दी जा रही है। निगम कर्मचारी कनिष्ठ अभियंता को क्षेत्र का निरीक्षण करना चाहिए। नियम का जरा सा भी उल्लंघन होने पर भवन मालिक को जुर्माना डाल कर सही करवाना चाहिए। इसी कार्य में भ्रष्टाचार को मौका मिलता है। ऑनलाइन में इसका मौका नहीं होता है। सब कुछ सही होने पर ही टेक्नीकली स्वीकृत होता है वरना तिरस्कृत हो जाता है।
आवश्यकता अनुसार तकनीक
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन सीसी देने के लिए एमआरसी वालों को उसके अंतर्गत तकनीक तैयार करनी पड़ती है। ऑनलाइन सीसी देनी है तो निगम के जूनियर इंजीनियर को मौके पर जाकर समीक्षा करनी पड़ती है। इसमें किसी प्रकार की छूट नहीं है।
दर्ज करनी पड़ती है वास्तविकता
महानगर निगम के अभियंता ने सीसी देने से पूर्व मौके पर जाकर जो देखा है उस विषय को दर्ज करना जरूरी है वरना आगामी दिनों में जीआई सर्वे में सबकुछ सामने आने का खतरा होता है। हैरानी की बात है कि भवन निर्माण प्रमाण पत्र देने में भी ऐसी एक व्यवस्था बीबीएमपी ने नहीं अपनाई है।
पिछले साल रिकॉर्ड संग्रह
हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम की नगर योजना शाखा ने पिछले साल जुलाई में भवन निर्माण अनुमति प्रमाणपत्र तथा समापन प्रमाणपत्र देकर 6 करोड़ 58 लाख 56 हजार 771 रुपए रिकॉर्ड शुल्क संग्रह किया था। इस दौरान 104 भवनों को अनुमति पत्र तथा 301 भवनों को समापन पत्र दिया गया था। इस उपलब्धि पर आशंका के बादल मंडरा रहे थे परंतु नगर निगम अधिकारी तथा पार्षदों ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया। ऑनलाइन व्यवस्था आने के पश्चात दो माह तक प्रमाणपत्र देने की व्यवस्था बंद हो गई थी। अब सही करने के बावजूद व्यवस्था काफी धीमी गति से चल रही है।
इनका कहना है
ऑनलाइन से सीसी देने की व्यवस्था लागू होगी तो काफी आसानी होगी। साथ ही आमजन के लिए भी मददगार होगी। इससे भ्रष्टाचार कम हो जाएगा। सुरेश किरेसूर, निदेशक एसोसिएशन ऑफ कन्सल्टिंग सिविल इंजीनियर्स।
&ऑनलाइन सीसी देने की व्यवस्था की जा सकती है, परंतु म्यूनिसिपल रिफाम्र्स सेल की ओर से तकनीक तैयार करनी पड़ती है। बी.वी. हिरेमठ, नगर योजना उप निदेशक।
Published on:
24 Feb 2019 12:26 am
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