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लौह अयस्क खानों की हो नए सिरे से नीलामी

लौह अयस्क खनन से जुड़े राज्य के इस्पात उद्योग निकाय ने लौह अयस्क खानों के नए सिरे से नीलामी की मांग की है। मौजूद खनन लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुके खनिकों की लीज अवधि को न बढ़ाने की मांग करते हुए खनन के लिए पूरी तरह से नई नीलामी करने की अपील की गई है। इससे नए खनन उद्यमियों को मौका मिलेगा और प्रतिस्पर्धा होने से सरकार को बेहतर राजस्व मिलेगा।

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लौह अयस्क खानों की हो नए सिरे से नीलामी

बेंगलूरु. लौह अयस्क खनन से जुड़े राज्य के इस्पात उद्योग निकाय ने लौह अयस्क खानों के नए सिरे से नीलामी की मांग की है। मौजूद खनन लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुके खनिकों की लीज अवधि को न बढ़ाने की मांग करते हुए खनन के लिए पूरी तरह से नई नीलामी करने की अपील की गई है। इससे नए खनन उद्यमियों को मौका मिलेगा और प्रतिस्पर्धा होने से सरकार को बेहतर राजस्व मिलेगा।

खान एवं खनिज विकास एवं विनियमन अधिनियम 2015 के अनुसार मौजूदा खदानों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा और सिर्फ नई नीलामी के आधार पर खानों का आवंटन किया जाएगा। इससे खनन से संबद्ध कंपनियों को भविष्य की चिंता सताने लगी है और वे चाहते हैं कि बिना किसी व्यवधान के खनन गतिविधियों को बरकरार रखने के लिए लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया की अपनाई जाए। वहीं उद्योग निकाय ने दावा किया कि मार्च 2019 में खनन पट्टों की संभावित आपूर्ति की कमी के बाद खनिकों द्वारा उठाई गई चिंताएं निराधार हैं।

कर्नाटक लौह एवं इस्पात विनिर्माण संघ (किस्मा) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे पत्र में कहा है कि बंदी की अवस्था वाले खनिकों और गतिमान खनिकों के बीच समान स्तरीय स्थिति प्रदान करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि दोनों को समान अवसर प्रदान किए जाएं। दोनों प्रकार के खनिक उद्यमियों को लौह अयस्क खानों की नीलामी में भाग लेने का उचित और समान अवसर दिए जाएं। अब तक देखा जाता रहा है कि गतिमान खनिकों को ही ज्यादा अवसर प्रदान किए जाते हैं। किस्मा ने सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि वर्तमान खनिकों का खनन लाइसेंस मार्च में समाप्त हो चुका है, जिससे बाजार में लौह अयस्क की आपूर्ति कम हुई है, इसलिए सरकार से लीज अवधि को २०३० तक बढ़ाने की अपील की गई है।

हालांकि किस्मा का कहना है कि गतिमान खनिक इस प्रकार की बातें कहकर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। अगर खनिकों की लीज अवधि बढ़ाई गई तो यह एक बड़ा झटका होगा क्योंकि इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होगा। एक अन्य खनन उद्योग निकाय पेलेट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पमी) ने भी नीति आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि देश में मार्च २०२० तक लौह अयस्क की कोई कमी नहीं होगी। देश में २०० एमटीपीए (वार्षिक मिट्रिक टन) खनन क्षमता मौजूद है। इसलिए नए खनन लाइसेंस के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाने में परेशानी नहीं है।