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इसरो ने रचा इतिहास, चांद की कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-2

locationबैंगलोरPublished: Aug 20, 2019 05:59:35 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

जटिल लूनर आर्बिट इंसर्शन में इसरो ने साबित की महारत
देश के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को भी पहले ही प्रयास में भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में स्थापित कर दिया था
 

ISRO

इसरो प्रमुख के सिवन (फाइल फोटो)

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने इतिहास रचते हुए चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा (Moon’s Orbit) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
मंगलवार सुबह 9:02 बजे चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा मे स्थापित करने के लिए लूनर आर्बिट इंसर्शन (LOI) प्रक्रिया शुरु हुई और 30 मिनट बाद यान चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया।
इसरो ने कहा कि लूनर आर्बिट इंसर्शन के लिए चंद्रयान-2 के इंजन में मौजूद तरल अपोगी मोटर (एलएएम) 1738 सेकंड तक फायर किया गया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद चंद्रयान-2 चांद की पूर्व अनुमानित 114 गुणा 18 072 किमी वाली कक्षा में प्रवेश कर गया, जहां वह अभी चक्कर लगा रहा है। यह लगातार दूसरा मौका है, जब इसरो के वैज्ञानिकों ने लूनर ऑर्बिट इंसर्शन में शत-प्रतिशत कामयाबी हासिल की है। देश के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को भी पहले ही प्रयास में भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में स्थापित कर दिया था।
इस बार भी वहीं प्रक्रिया अपनाई गई। सबसे बड़ी बात यह रही कि इसरो वैज्ञानिक चंद्रयान-2 को चांद की जिस कक्षा में पहुंचाना चाहते थे और दक्षिणी धु्रव पर उतरने के लिए जो कोण हासिल करना चाहते थे, उसमें उन्हें पूरी सफलता मिली। इससे भविष्य की प्रक्रियाएं और आसान हो जाएंगी।
ये था खतरा
इसरो अध्यक्ष K Shivan ने कहा कि दक्षिणी धु्रव पर उतरने के लिए चंद्रयान-2 को एक विशेष प्रकार से कक्षा में स्थापित होने की जरूरत थी। यह जरूरत थी चांद के सापेक्ष 90 डिग्री के कोण पर उसकी कक्षा में चंद्रयान-2 का स्थापित होना। अभी तक के विश्व के अन्य चंद्र मिशनों को इसमें सफलता नहीं मिली।
लेकिन, ट्रांस लूनर इंजेक्शन (टीएलआइ) और लूनर आर्बिट इंसर्शन (एलओआइ) की सटीकता से इसरो यह हासिल करने में कामयाब रहा। पिछले 14 अगस्त को टीएलआइ के दौरान Chandryan-2 को 10.9 किमी प्रति घंटे की गति से चांद की कक्षा में डालने की चुनौती थी।
अगर इसमें 10 मीटर प्रति सेकेंड का भी विचलन होता तो कक्षा में 7 डिग्री का अंतर आ जाता और चांद के दक्षिणी धु्रव पर सॉफ्ट लैंडिंग का सपना पूरा नहीं हो पाता। इसी तरह 19 अगस्त दोपहर 3 बजे चंद्रयान-2 चांद के आभामंडल में प्रवेश किया। तब, चांद के गुरुत्वाकर्षण (Gravity )के कारण उसकी गति तेज होने लगी। अगर उसे छोड़ दिया जाता तो गति इतनी तीव्र हो जाती कि वह गहन अंतरिक्ष में निकल जाता। उसकी गति 2.4 किमी प्रति सेकेंड से घटाकर 2.1 किमी प्रति सेकंड करने की चुनौती थी, जिसे लूनर आर्बिट इंसर्शन के जरिए किया गया।
चांद पर चार मैनुवर, पहला आज
चांद की 114 किमी गुणा 18 हजार किमी वाली कक्षा में प्रवेश के बाद इसरो का अगला कदम उसे 100 गुणा 100 किमी वाली कक्षा में लाना होगा। इसके लिए कुल चार मैनुवर किए जाएंगे। पहला मैनुवर 21 अगस्त दोपहर 12.55 बजे होगा जिसके बाद यान चांद की 120 गुणा 4303 किमी वाली कक्षा में आ जाएगा।
फिर 28 अगस्त की शाम 5:46 बजे दूसरा मैनुवर होगा और चंद्रयान-2 को 176 गुणा 1411 किमी वाली कक्षा में डाला जाएगा। तीसरा मैनुवर 30 अगस्त शाम 6 :05 बजे होगा जिसके बाद चंद्रयान-2 की कक्षा 102 गुणा 16 0 किमी हो जाएगी। अंतत 1 सितम्बर को शाम शाम 5:37 बजे चौथे मैनुवर के साथ ही इसे 100 किमी गुणा 104 किमी वाली कक्षा में पहुंचा दिया जाएगा।
विक्रम की जांच 3 को, मैनुवर 4 को
अगले ही दिन यानी 2 सितम्बर को चंद्रयान-2 के आर्बिटर से लैंडर अलग होगा। आर्बिटर से अलग होने के बाद 3 सितम्बर को लैंडर के साथ एक 3 सेकंड का एक छोटा मैनुवर होगा। यह मैनुवर सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए होगा कि लैंडर की तमाम प्रणालियां ठीक ढंग से काम कर रही हैं। अगले दिन यानी 4 सितम्बर को असली मैनुवर होगा जो 6 सेकेंड का है। दूसरे मैनुवर के बाद लैंडर चांद की 100 किमी गुणा 30 किमी वाली कक्षा में आ जाएगा।
7 सितम्बर को 1: 55 बजे लैंडिंग
तीन दिन पहले ही लैंडर की तमाम प्रणालियों की जांच के बाद 7 सितम्बर को भारतीय समयानुसार 7 सितम्बर तड़के 1: 40 बजे लैंडर विक्रम चांद पर उतरने के लिए अपनी यात्रा शुरू करेगा। करीब 15 मिनट बाद 1:55 बजे विक्रम चांद के दक्षिणी धु्रवीय प्रदेश पर दो क्रेटरों के बीच सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद करीब 3:10 बजे सौर लैंडर के सौर पैनल तैनात हो जाएंगे। लैंडिंग के लगभग 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलेगा और चांद की धरती पर चहलकदमी शुरू करेगा।
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