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इसरो को ऐन वक्त पर टालना पड़ा GISAT-1 का प्रक्षेपण

उलटी गिनती से कुछ देर पहले प्रक्षेपण स्थगित हो गया था

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इसरो को ऐन वक्त पर टालना पड़ा GISAT-1 का प्रक्षेपण

इसरो को ऐन वक्त पर टालना पड़ा GISAT-1 का प्रक्षेपण

बेंगलूरु. वोल्टेज से जुड़ी समस्या के कारण भू-अवलोकन उपग्रह जीआइसैट-1 का प्रक्षेपण एक बार फिर टल गया है। उपग्रह का प्रक्षेपण 5 मार्च 2020 को ही होना था लेकिन, उलटी गिनती से कुछ देर पहले तकनीकी कारणों से प्रक्षेपण स्थगित हो गया था।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भरोसा जताया था कि इस वर्ष मार्च अंत या अप्रेल के पहले सप्ताह तक जीआइसैट-1 लांच हो जाएगा और अनुरूप तैयारियां उसी अनुरूप चल रही थीं।

इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा 'उपग्रह में ऊर्जा प्रवाह (वोल्टेज में उतार-चढ़ाव) की थोड़ी समस्या है। हालांकि, यह अत्यंत मामूली दिखता है लेकिन, हल्के में नहीं ले सकते। इसके चलते प्रक्षेपण में विलंब हो रहा है। समस्या जल्द दूर कर ली जाएगी।'

इस बीच इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अब इस महीने के अंत अथवा मई महीने में ही यह मिशन लांच हो जाएगा। इसका प्रक्षेपण जीएसएलवी एफ-10 से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से किया जाएगा।


रियल टाइम निगरानी करेगा
जीआइसैट-1 भारतीय भू-भाग पर रियल टाइम में नजर रखेगा। यह उपग्रह भू-स्थैतिक कक्षा में एक ही जगह स्थित रहकर पूरे देश पर नजर रखेगा।

यानी, भू-स्थैतिक कक्षा (जियो स्टेशनरी आर्बिट) से यह उपग्रह लाइव होगा और देश के जिस भू-भाग की जब भी तस्वीरें लेने की जरूरत होगी उसे रीयल टाइम में हासिल किया जाएगा।

भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर इस उपग्रह के ऑपरेशनल होने के बाद देश की सीमाओं पर भी निरंतर नजर रखी जा सकेगी। उपग्रह का वजन 2268 किलोग्राम है।