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ज्योतिपुंज आचार्य महाप्रज्ञ ने मानवता को किया आलोकित

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के युगप्रधान आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी समारोह का भव्य शुभारम्भ रविवार को भिक्षुधाम परिसर में अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में भव्य रूप में समायोजित हुआ।

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ज्योतिपुंज आचार्य महाप्रज्ञ ने मानवता को किया आलोकित

ज्योतिपुंज आचार्य महाप्रज्ञ ने मानवता को किया आलोकित

बेंगलुरु. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के युगप्रधान आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी समारोह का भव्य शुभारम्भ रविवार को भिक्षुधाम परिसर में अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में भव्य रूप में समायोजित हुआ। तेरापंथ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु के नाम पर स्थापित भिक्षु धाम के परिसर में बने ‘भिक्षु महाप्रज्ञ समवसरण’ में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आचार्य मंच पर पहुंचे।

मंच से आचार्य ने ‘महाप्रज्ञ अष्टकम’ का उच्चारण करते हुए जन्म शताब्दी समारोह का शुभारम्भ किया। इसके पश्चात् आचार्य ने गुरु के प्रति अपनी विनयांजलि समर्पित करते हुए स्वरचित गीत का संगान किया। आचार्य ने इस वर्ष को ‘ज्ञान चेतना वर्ष’ नाम प्रदान करते हुए लोगों को अपनी चेतना को जागृत करने का पावन पाथेय प्रदान किया।


कार्यक्रम में देश के पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल व श्रमणबेलगोला के स्वस्ति चारूकीर्ति भट्टारक स्वामी भी उपस्थित थे। इसके उपरान्त बालक-बालिकाओं व महिला व पुरुषों को मिलकर लगभग 100 लोगों ने महाप्रज्ञ अष्टकम का संगान किया। रवि नाहटा व उनके साथियों ने गीत का संगान किया। महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र चोरडिय़ा, वरिष्ठ श्रावक सुमति गोठी, चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-बेंगलुरु के अध्यक्ष मूलचंद नाहर, स्वागताध्यक्ष नरपतसिंह चोरडिय़ा व भिक्षुधाम के अध्यक्ष धर्मीचंद धोका ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। साधु-साध्वीवृंद तथा समणीवृंद द्वारा गीतों के माध्यम से अपनी भावांजलि समर्पित की।

चातुर्मास के बाद श्रवणबेलगोला पधारने की घोषणा की तो पूरा प्रवचन पंडाल जयकारों से गूंज उठा। इसके उपरान्त अभातेयुप द्वारा ‘तेरापंथ टाईम्स’ के विशेषांक को श्रीचरणों में समर्पित किया। अभातेयुप के अध्यक्ष विमल कटारिया, महामंत्री संदीप कोठारी, पवन मांडोत ने आचार्य को समर्पित किया।


थार एक्सप्रेस, व अन्य पुस्तकों, अमृतवाणी की पेनड्राइव आदि भी संबंधित संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा लोकार्पित की गईं। आचार्य ने पुस्तकों के संदर्भ में आशीर्वाद प्रदान किया। चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के महामंत्री दीपचंद नाहर ने आभार ज्ञापित किया।

मुनि दिनेशकुमार ने संचालन किया। इस अवसर पर जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अरविंद संचेती, धर्मीचंद लुंकड़, महासभा के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल मालु, महासभा के उपाध्यक्ष कन्हैयालाल गिरीया, महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्षा कुमुद कचेरा, टीपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल कोटेचा, अणुव्रत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक संचेती, प्रकाश लोढ़ा, सुरपत चोरडिय़ा, सुशील चोरडिय़ा, ललित आच्छा, अशोक कोठारी सहित देश विदेश ने हजारों की तादात में लोगों ने भाग लिया।


अद्वितीय संत थे आचार्य महाप्रज्ञ: साध्वीप्रमुखा
तेरापंथ धर्मसंघ की साध्वीप्रमुखा साध्वी कनकप्रभा ने कहा कि आज कुसाग्र मेधावाले, प्रज्ञावान महापुरुष के जन्म शताब्दी का शुभारम्भ हुआ है। उन्होंने शताब्दी वर्ष की सार्थकता प्रकाशित करते हुए कहा कि शताब्दी संघ को चिरस्थाई बनाने के लिए और अतीत के गौरव का गान कर भावी पीढ़ी को सुसंस्कारित बनाने का प्रयास है। आचार्य महाप्रज्ञ कवि, वक्ता, दर्शनिक, साहित्यकार थे। उनका नाम सभी के मुख पर रहता था। वे अद्वितीय महापुरुष थे।


साध्वी ने राजस्थान पत्रिका समूह के संपादक गुलाब कोठारी के लाडनूं संस्मरण का उल्लेख करते हुए कहा कि कोठारी ने आचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य तुलसी का प्रतिङ्क्षबब बताया और कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ कभी किसी कार्य का श्रेय नहीं लेते वे कभी स्वयं के लिए भी नहीं जीते हैं।


महाप्रज्ञ विश्व संत थे
मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ राष्ट्रसंत नहीं, विश्व संत थे। वे अध्यात्म जगत के देदीप्यमान महासूर्य थे। आचार्य के व्यक्तित्व और कर्तृत्व का वर्णन नहीं किया जा सकता। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ की ‘पहचान जैन श्रावक की’ अंग्रेजी में अनूदित पुस्तक समर्पित की। पुस्तक जैन विश्व भारती अध्यक्ष अरविन्द संचेती, न्यासी मनोज लुणिया, धर्मीचंद लुंकड़ व सुरेन्द्र चोरडिय़ा आदि ने आचार्य के समक्ष लोकार्पित की।

आचार्य महाप्रज्ञ को मैं भगवान कहता हूं: राज्यपाल
समारोह में उपस्थित राज्यपाल वजूभाई वाला ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ की प्रज्ञा से जितने साहित्य प्रकाशित हुए हैं, उनका प्रसार संपूर्ण विश्व में हो। आचार्य महाप्रज्ञ के ज्ञान को जीवन में चरितार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य महाप्रज्ञ को तो मैं भगवान मानता हूं, जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर दिया।

अनेक आयोजनों की हुई घोषणा
आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी समारोह समिति के अध्यक्ष व महासभा के अध्यक्ष हंसराज बैताला ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए इस शताब्दी वर्ष में आरम्भ होने वाले विभिन्न आयोजनों की घोषणा की।

जब प्रवचन पंडाल में पहुंचे 100 महाप्रज्ञ
किशोर मंडल-बेंगलूरु के 100 किशोर आचार्य महाप्रज्ञ के मुखौटे लगाए और श्वेत वस्त्र धारण किए हुए पहुंचे तो पूरा परिषद देखते ही रह गया। इन सभी किशोरों ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार तपस्या भी की थी। सभी को आचार्य ने उनकी धारणा के अनुसार त्याग कराया।

नाटिकाओं के माध्यम से जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला
दोपहर को आचार्य महाप्रज्ञ की ११२ गाथाओं का २५ ज्ञानशालाओं २५० से अधिक बच्चों ने नाटिकाओं के माध्यम से आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।