
बेंगलूरु. शहर में कोविड के ज्यादातर मरीजों के नमूनों में कोरोना का सबसे प्रमुख डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) है। शहर में किए गए एक हालिया जीनोमिक सर्विलांस अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में शामिल कोविड के लक्षण वाले मरीजों में से 93 फीसदी से ज्यादा मरीजों में डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है।
अध्ययन दल के सदस्य डॉ. यू. एस. विशाल राव ने इसे चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि यह तो पहले से तय था कि नए म्यूटेंट के कारण कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हुई। डेल्टा वेरिएंट के रूप में इसका परिणाम भी सामने है। ऐसे में जीनोमिक निगरानी और भी जरूरी हो गई है।
डॉ. राव ने कहा कि एक अप्रेल से राज्य में कोविड के 7.48 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। कोविड से 10,166 मरीजों की मौत हुई है। इनमें से 53 फीसदी से ज्यादा मौतें अकेले बेंगलूरु शहरी जिले में हुई हैं जबकि 44 फीसदी से ज्यादा नए मामले इसी जिले में सामने आए हैं। वर्तमान में उपलब्ध कराए गए टीके मूल वुहान स्ट्रेन का उपयोग करके बनाए गए हैं। ऐसे में कई वेरिएंट्स टीके की सुरक्षा चक्र से बाहर होंगे। इसलिए मौजूदा टीके कम प्रभावी हो सकते हैं। ऐसे म्यूटेंट से निपटने के लिए बूस्टर डोज या पूरी तरह से नए टीके की आवश्यकता हो सकती है।
कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को सर्वाधिक प्रभावित कर सकती है। इसमें डेल्टा स्ट्रेन की भूमिका कितनी रहेगी सवाल के जवाब में डॉ. राव ने कहा कि कोई विशिष्ट प्रमाण या संकेतक उपलब्ध नहीं है कि यह केवल बच्चों को लक्षित करेगा। यह जरूर है कि बच्चों के लिए टीका उपलब्ध नहीं होने के कारण संक्रमित होने की संभावना अधिक है। वैक्सीन नहीं लगवाने वाले या एक खुराक लेने वालों को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। तीसरी लहर से निपटने के लिए रियल टाइम जीनोमिक सर्विलांस जरूरी है।
एल्फा वेरिएंट से 50 गुना ज्यादा संक्रामक डेल्टा
डॉ. राव ने बताया कि 44 जीनोमिक सैंपल में से 41 में डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई। यह वेरिएंट यूनाइटेड किंगडम में सामने आए एल्फा वेरिएंट (बी.1.1.7) से 50 गुना ज्यादा संक्रामक हो सकता है। कोविड के कारण आइसीयू में भर्ती मरीजों पर विशेष निगरानी की जरूरत है। ऐसे मरीजों के नमूनों की जेनेटिक सीक्वेंसिंग (आनुवांशिक अनुक्रमण) से और तथ्य सामने आएंगे। अब यह स्पष्ट है कि कई राज्यों में, दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट के कारण आई।
डॉ. राव ने कहा कि ब्लैक फंगस के मरीज भी तेजी से बढ़े हैं। इनमें से कई मामलों का ऑक्सीजन से कोई लेना-देना नहीं है। अध्ययन करना होगा कि क्या इस प्रकार के वेरिएंट में कवक को सक्रिय करने की प्रवृत्ति है?
उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस के कई वेरिएंट्स हैं। 28 राज्यों में 8,572 वेरिएंट्स मिल चुके हैं। इनमें से एक है बी.1.617 वेरिएंट, जो गत वर्ष दिसंबर में भारत में पाया गया था। बी.1.617.2 वेरिएंट ही बी.1.617 का उप-वंश है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे डेल्टा नाम दिया है। 58 से ज्यादा देश इससे प्रभावित हैं।
Published on:
12 Jun 2021 04:34 pm
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