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कर्नाटक हिजाब विवाद : अदालत का आदेश आने तक मौजूदा यूनिफॉर्म नियम का करें पालन

- मुख्यमंत्री ने की शिक्षा मंत्री, अधिकारियों के साथ बैठक

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कर्नाटक हिजाब विवाद : अदालत का आदेश आने तक मौजूदा यूनिफॉर्म नियम का करें पालन

file photo

बेंगलूरु. हिजाब विवाद (HIJAB CONTROVERSY) पर कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) का आदेश आने तक शैक्षणिक संस्थानों से यूनिफॉर्म को लेकर मौजूदा नियम का पालन करने को कहा गया है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश व अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ शुक्रवार को बैठक की।

बैठक के बारे में जानकारी देते हुए नागेश ने कहा चूंकि, मामला अदालत में है। इसलिए, मुख्यमंत्री ने विधि तथा प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ बैठक की। उन्होंने महाधिवक्ता की राय लेने के बाद सरकार के रुख से अदालत को अवगत कराने की सलाह दी। बैठक में विधि विभाग ने इस मसले पर कानून और नियमों की जानकारी दी।

विवाद के पीछे गहरी साजिश : नागेश

शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि हिजाब विवाद के पीछे एक गहरी 'साजिश' है। कुछ लोग जो इस देश की प्रगति के खिलाफ हैं वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने और समाचार बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के आधार पर 2013 और 2018 में नियम बनाए गए हैं। इनके मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों तथा स्कूल विकास और निगरानी समिति (एसडीएमसी) को छात्रों के लिए यूनिफॉर्म निर्धारित करने का अधिकार है। इन तमाम पहलुओं पर विचार किया जा रहा है और सरकार जल्द ही इस पर एक निर्णय करेगी। अभी एक परिपत्र जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि शैक्षणिक वर्ष शुरू होने से पहले एसडीएमसी द्वारा निर्धारित और अभी तक छात्रों द्वारा पहनी जा रही यूनिफॉर्म को उच्च न्यायालय का फैसला आने तक जारी रखा जाए। कोई भी शैक्षणिक संस्थानों पर अपना व्यक्तिगत या धार्मिक विचार नहीं थोप सकता। उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई 8 फरवरी को होगी।

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

नागेश ने कहा कि केरल और बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने पहले के आदेशों में विशेष रूप से कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब नहीं पहना जा सकता है। छात्रों से किसी और के लिए 'बलि का बकराÓ न बनने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे समय में नफरत का माहौल न हो जब परीक्षाओं में दो महीने का समय रह गया है। छात्रों ने जब स्कूलों में नामांकन लिया तब प्रधानाचार्य ने वहां के नियमों के बारे में लिखित रूप में सूचित किया। इनमें यूनिफॉर्म को लेकर भी नियम थे जिसे उन्होंने लिखित रूप में स्वीकार किया और हस्ताक्षर किए। जनवरी के पहले सप्ताह तक सभी छात्रों ने नियमों का पालन किया। लेकिन, उसके बाद किसी ने किस शरारत के कारण उन्हें हिजाब पहनने को लेकर इस तरह का रुख अपनाने और कक्षाओं का बहिष्कार करने को प्रेरित किया। यह समझ से परे है। स्थानीय विधायक और समुदाय के नेताओं द्वारा पिछले एक महीने से कई बार छात्राओं को समझाने की कोशिश की जा रही है।

सरकार का रूख एक समान

हिजाब के प्रतिवाद में भगवा शॉल के साथ आने वाले छात्रों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ स्वाभाविक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। लेकिन, वैसे छात्रों को भी अनुमति नहीं दी जाएगी जो भगवा शॉल ओढ़कर आए। उनके प्रति सरकार का रुख कोई अलग नहीं है।

सिद्धू ने साधा सरकार पर निशाना

उधर, मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनकर आने का समर्थन करते हुए नेता प्रतिपक्ष सिद्धरामय्या ने कहा कि एक कॉलेज के अंदर लड़कियों के प्रवेश से इनकार करना, वह भी एक सरकारी कॉलेज में, छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने भाजपा पर छात्रों को भगवा शॉल पहनने और इसे मुद्दा बनाने के लिए उकसाने का आरोप लगाया। सिद्धरामय्या पर पलटवार करते हुए नागेश ने कहा कि यूनिफार्म के नियम उन्हीं की सरकार के दौरान बनाए गए थे। उनको कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और संबंधित नियमों का अध्ययन करना चाहिए।

पसंद के हिसाब से यूनिफार्म नहीं : सुनील

कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री वी.सुनील कुमार ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म होती है। धार्मिक पसंद के हिसाब से यूनिफॉर्म नहीं पहनी जा सकती। भाजपा सरकार उडुपी या मेंगलूरु को एक और हिजाब पहनने के तालिबान नहीं बनने देगी।

कुंदापुर के कॉलेज में विवाद जारी

कुंदापुर सरकारी पीयू कॉलेज में लगातार तीसरे दिन शुक्रवार को हिजाब विवाद जारी रहा। मना करने के बावजूद कई लड़कियां हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंची और प्रिंसिपल ने गेट बंदकर एक बार फिर उन्हें कॉलेज में प्रवेश से रोकने की कोशिश की। हालांकि, कुछ लड़कियां कॉलेज परिसर में दाखिल होने में सफल रही। इनके अनुसार कॉलेज प्रबंधन ने इन्हें कक्षा में जाने की इजाजत नहीं दी। छात्राओं के अभिभावकों ने अपने बच्चों को कक्षाओं में नहीं जाने देने के लिए प्रिंसिपल के खिलाफ कॉलेज के गेट के पास धरना दिया।

इस बीच, गले में भगवा गमछा डाले सैकड़ों विद्यार्थी कॉलेज पहुंचे। लेकिन, प्रिंसिपल ने उन्हें भी कक्षा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। इनमें से कुछ गमछा हटाने के लिए मान गए। लेकिन छात्राएं अपनी जिद पर अड़ी रहीं।