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कर्नाटक सरकार ने जारी की न्यूनतम मजदूरी पर मसौदा अधिसूचना, 989 प्रतिदिन होगी सबसे कम मजदूरी

राज्य सरकार ने शुक्रवार को विभिन्न श्रेणियों में कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी से संबंधित एक मसौदा अधिसूचना जारी की। मसौदा अधिसूचना के अनुसार, सफाई कार्य में लगे लोगों को न्यूनतम 989 रुपये प्रतिदिन और 21,251.30 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

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बेंगलूरु. राज्य सरकार ने शुक्रवार को विभिन्न श्रेणियों में कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी से संबंधित एक मसौदा अधिसूचना जारी की। मसौदा अधिसूचना के अनुसार, सफाई कार्य में लगे लोगों को न्यूनतम 989 रुपये प्रतिदिन और 21,251.30 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

अत्यधिक कुशल इलेक्ट्रीशियन को प्रतिदिन 1,316.36 रुपये और 34,225.42 रुपये प्रति माह मजदूरी मिलेगी। कुशल इलेक्ट्रीशियन को प्रतिदिन 1,196.69 रुपये और 31,114.02 रुपये प्रति माह मजदूरी मिलेगी। अर्ध-कुशल इलेक्ट्रीशियन को प्रतिदिन 1,087.90 रुपये और 28,285.47 रुपये प्रति माह मजदूरी मिलेगी, जबकि अकुशल इलेक्ट्रीशियन को प्रतिदिन 989 रुपये और 25,714.07 रुपये प्रति माह मजदूरी मिलेगी।

फाउंड्रीज में जोन-1 में उच्च कुशल श्रमिकों को प्रतिदिन 1,316.36 रुपये तथा प्रतिमाह 34,225.42 रुपये, जोन-2 में 1,196.69 रुपये प्रतिदिन तथा 31,114.02 रुपये प्रतिमाह तथा जोन-3 में 1087.90 रुपये प्रतिदिन तथा 28285.47 रुपये प्रतिमाह मजदूरी मिलेगी। अकुशल श्रमिकों के लिए जोन-1 में न्यूनतम दैनिक मजदूरी 989 रुपये, जोन-2 में 899 रुपये तथा जोन-3 में 817.35 रुपये होगी।

अन्य क्षेत्रों में उच्च कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम दैनिक मजदूरी 1,196.69 रुपये प्रतिदिन से लेकर 989 रुपये तक होगी, जबकि अकुशल श्रमिकों को 743 रुपये से लेकर 899.09 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलेगी।

अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 की धारा 5(1) (ए) और 5(1) (बी) के तहत कर्नाटक राज्य भर में 81 अनुसूचित उद्योगों के लिए अलग-अलग मजदूरी दरों पर सरकारी अधिसूचना तय या संशोधित की गई थी।

अधिसूचना में कहा गया है कि 2022-23 में, उक्त अवधि के दौरान प्रचलित न्यूनतम मजदूरी के अलावा, विभिन्न अनुसूचित उद्योगों से संबंधित कुल 34 अनुसूचित उद्योगों के लिए दरों को संशोधित करते हुए अधिसूचनाएं जारी की गईं।

एआईटीयूसी ट्रेड यूनियन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक रिट याचिका में उक्त अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी। न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था और निर्देश दिया था कि न्यूनतम मजदूरी की गणना की जाए और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करते हुए नई अधिसूचनाएं जारी की जाएं।

अधिसूचना में कहा गया है, क्षेत्र और कौशल के आधार पर विभिन्न अनुसूचित उद्योगों की मजदूरी दरों में अंतर को देखते हुए तथा सभी श्रेणी के श्रमिकों के लिए समान न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के अच्छे इरादे से, प्रत्येक अनुसूचित उद्योग के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी करने की प्रथा के स्थान पर एक समान अधिसूचना जारी की गई है।