
शुद्ध, पवित्र रखें अपने भाव
बेंगलूरु. हनुमंतनगर जैन स्थानक में साध्वी सुप्रिया ने कहा कि व्यक्ति को अपने भावों को हमेशा शुद्ध व पवित्र रखना चाहिए। भावना भव नाशिनी अर्थात अनादिकाल से परिभ्रमण कर रही है। यह आत्मा भावना के द्वारा भवों भवों का नाश करने वाली है। अत: जीवन, साधना और व्यवहार के हर क्षेत्र में भावों की शुद्धि, पवित्रता, बहुत जरूरी है। साध्वी सुमित्रा ने सागर दत चरित्र का वाचन किया व सबको मंगलपाठ प्रदान किया। संतोष बोहरा ने 29 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। संघ की ओर से उनका बहुमान किया गया। अध्यक्ष हुकमीचंद कांकरिया, शांताबाई खिंवसरा ने 29 व 30 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। संचालन उपाध्यक्ष अशोक कुमार गादिया ने किया।
मनुष्य एक-दूसरे की कर रहा उपेक्षा
बेंगलूरु. श्रीरामपुरम में साध्वी दिव्य ज्योति ने कहा कि जीवन विशाल और महान कब बनता है, जब हृदय प्रेम से भरा हो, प्रेम से ओतप्रोत हृदय पुष्प की भांति है। हमारा जीवन पुष्प है, तो प्रेम उसका मधु है। प्रेम शब्द बहुत छोटा है, किंतु उसमें अनूठा आकर्षण है। वह शरीर, मन और हृदय को एक साथ बांध लेता है। परंतु आज वर्तमान में प्रेम का अभाव बढ़ता जा रहा है। आज चाहे परिवार हो, समाज हो या कोई भी क्षेत्र हो-हर स्थान पर व्यक्ति, व्यक्ति की उपेक्षा कर रहा है। उसी उपेक्षा के कारण प्रेम का वातावरण खत्म होता जा रहा है।
विवेक कराता है हित-अहित का बोध
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि विवेक एक तीसरा नेत्र है, जिसके खुल जाने पर व्यक्ति को अपने हित और अहित का बोध हो जाता है। उन्होंने कहा कि हर क्रिया के साथ विवेक जुड़ जाए तो पाप कर्मों से बचा जा सकता है। अत: विवेक को परम धर्म कहा गया। इस मौके पर जैन कॉन्फ्रेंस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष केसरीमल बुरड़, प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश छल्लाणी आदि उपस्थित थे। रविवार को रक्षाबंधन उत्सव मनाया जाएगा।

Published on:
25 Aug 2018 08:06 pm
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