
बेंगलूरु. जयनगर श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ में साध्वी रिद्धिमा ने प्रवचन में कहा कि ज्ञान हमें तीन तरह से मिल सकता है मनन से, जो सबसे श्रेष्ठ होता है।अनुसरण से, जो सरल होता है और अनुभव से जो सबसे कड़वा होता है।
उन्होंने कहा कि गृहस्थ हों या संत हों, अपने शिष्य समुदाय या अपने बच्चे, जीवन में जिम्मेदारियां उठाने से पहले उनको तैयार करना आवश्यक है। जिस तरीके से घड़ा तैयार करने वाला कुम्हार एक हाथ घड़े के अंदर रखता है और दूसरे हाथ से ऊपर से थाप देता जाता है, ताकि घड़े की बनावट सही बने और वह कहीं से कच्चा ना रह जाए।
उसे मजबूत करने के लिए आग में तपाता है ताकि वह पक्का हो सके। आग में पकने तक वह घड़े में पानी डालना शुरू नहीं करता, वह जानता है अगर कच्चे घड़े में पानी डाला जाएगा तो घड़ा टूट जाएगा या उस पानी को संभाल नहीं पाएगा, पानी भी खराब हो जाएगा। इस तरीके से ज्ञान और ज्ञान के साथ सही सोच का होना आवश्यक है, सोच सही होगी तो ही ज्ञान सही होगा, ज्ञान सही होगा तो सोच भी सही होगी और अगर दोनों का साथ मिले तो जीवन गृहस्थ का हो या साधु का, दोनों ही अपनी जिम्मेदारियां उठाने में सक्षम बन पाएंगे।
Published on:
18 Sept 2021 02:00 pm
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