
हाईकोर्ट ने कहा, सिनेमाघरों को दें सुरक्षा : कुमारस्वामी की अपील, वितरक नहीं करें रिलीज
बेंगलूरु. सुपरस्टार रजनीकांत की बहुचर्चित फिल्म 'कालाÓ के राज्य में रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फिल्म 'कालाÓ के प्रदर्शन के लिए सिनेमाघरों एवं मल्टीप्लेक्सों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। अदालत के इस आदेश के कुछ ही घंटे बाद मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने 'कन्नाडिग़ा और आम नागरिकÓ के तौर पर फिल्म के वितरक से राज्य में 'मौजूदा हालात मेंÓ फिल्म रिलीज नहीं करने की अपील की। हालांकि, कुमारस्वामी ने कहा कि अदालत के आदेश के मुताबिक राज्य में फिल्म के प्रदर्शन के लिए सरकार सुरक्षा मुहैया कराएगी।
फिल्म निर्माता कंपनी और रजनीकांत के दामाद के. धनुष और बेटी ऐश्वर्या की ओर से सोमवार को दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जी. नागेंद्र की एकल पीठ ने फिल्म के प्रदर्शन के लिए राज्य सरकार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के आदेश दिए। हालांकि, अदालत ने राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर फिल्म चैम्बर्स की ओर से लगाई गई कथित रोक के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह सिनेमाघरों को फिल्म प्रदर्शित करने के लिए कोई आदेश नहीं दे रही है, लेकिन फिल्म निर्माता को उन छविगृहों की सूची सरकार को देने के लिए कहा जो फिल्म दिखाना चाहते हैं। इसके बाद उन सिनेमाघरों को सुरक्षा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि फिल्म के प्रदर्शन में किसी तरह का कोई व्यावधान नहीं आए।
इससे पहले कर्नाटक फिल्म चैम्बर ऑफ कामर्स (केएफसीसी) ने कावेरी जल विवाद मसले पर राजनीकांत के बयानों के कारण राज्य मेंं फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की घोषणा की थी। अदालत के आदेश से रजनीकांत के प्रशंसक काफी खुश हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ए. जी. शिवण्णा ने अदालत से साफ तौर पर कहा कि सरकार या किसी संगठन ने फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के बारे में कोई निर्णय नहीं किया है। शिवण्णा ने कहा कि अगर फिल्म के निर्माता उन स्थलों, छविगृहों और मल्टीप्लेक्सों की सूची शो के समय के साथ उपलब्ध कराएं जहां फिल्म प्रदर्शित होनी है तो सरकार वहां पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
केएफसीसी के वकील ने भी अदालत को बताया कि संगठन ने वितरकों और फिल्म प्रदर्शकों को फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया है। केएफसीसी के वकील ने अदालत को बताया कि फिल्म के वितरक ने छविगृहों के मालिकों व मल्टीप्लेक्स संचालकों से बातचीत के बाद फिल्म का प्रदर्शन राज्य में नहीं करने का फैसला किया था। इसके बाद अदालत ने फिल्म निर्माता को वितरक और फिल्म प्रदर्शकों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए ताकि सुरक्षा इंतजाम किए जा सकें। याचिका में राज्य सरकार, केएफसीसी के अलावा गृह विभाग, पुलिस महानिदेशक, बेंगलूरु पुलिस आयुक्त और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को भी प्रतिवादी बनाया था।
पद्मावती पर फैसला बना नजीर
अदालत ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश के आधार पर रजनीकांत की फिल्म को रिलीज करने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के आदेश दिए। इस साल जनवरी में शीर्ष अदालत ने पद्मावती पर चार राज्यों- राजस्थान, गुजराज, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लगाए गए प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी। जस्टिस नागेंद्र ने शीर्ष अदालत के आदेश को उद्धृत करते हुए कहा कि भाषण और अभिव्यक्तिकी स्वतंत्रता, विशेष रूप से फिल्मों में अभिव्यक्तिके माध्यम के रूप में, कम नहीं किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 1 9 (1) (ए) के तहत रचनात्मक सामग्री अविभाज्य पहलू है। इससे पहले धनुष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने दलील दी कि फिल्म को नियमों के मुताबिक सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है और इसके बाद फिल्म को प्रदर्शित करना याची का संविधान के तहत मौलिक अधिकार है। अगर फिल्म का प्रदर्शन नहीं होता है तो निर्माता को काफी आर्थिक नुकसान होगा।
एकल पर्दे पर रिलीज को लेकर असमंजस
फिल्म के वितरकों का कहना है कि राज्य के सभी मल्टीप्लेक्सों में फिल्म का प्रदर्शन होगा। हालांकि, एकल पर्दे पर छविगृहों की संख्या को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है।
नहीं मिली सिनेमाघरों की सूची : पुलिस
इस बीच, बेंगलूरु पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने फिल्म दिखाने वाले सिनेमाघरेां को सुररक्षा देने के लिए कहा है लेकिन अब तक पुलिस को फिल्म निर्माता से उन सिनेमाघरों की सूची नहीं मिली है, जहां इसका प्रदर्शन होना है। जब तक सूची नहीं मिल जाती पुलिस के लिए सुरक्षा प्रदान करना संभव नहीं होगा। उम्मीद है कल शाम तक स्थिति साफ हो जाएगी।
आदेश का पालन करेगी सरकार
मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना सरकार का दायित्व है। राज्य सरकार के प्रमुख के तौर पर उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाना मेरी जिम्मेदारी है। मैं इसका पूरा ख्याल रखूंगा लेकिन मुख्यमंत्री के बजाय एक कन्नडिग़ा और आम नागरिक के तौर पर मेरी व्यक्तिगत राय तो यही है कि ऐसे माहौल में किसी निर्माता या वितरक को फिल्म रिलीज नहीं करना चाहिए। मेरी फिल्म निर्माता और वितरक से अपील है कि मौजूदा माहौल में इसे रिलीज ना करें। अगर फिर भी वे फिल्म रिलीज करते हैं तो भी यह उनके लिए वित्तीय तौर पर फायदेमंद नहीं रहेगा। कुमारस्वामी ने कहा कि वे फिल्म निर्माता और वितरक के तौर पर अनुभवी हैं और इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में वे फिल्म को रिलीज कर अनावश्यक विवाद क्यों पैदा करना चाहते हैं। ऐसा किया जाना जरूरी नहीं है। कुमारस्वामी ने कहा कि कावेरी जल बंटवारा मसले का हल निकल जाने के बाद वे कभी भी आसानी से फिल्म रिलीज कर सकते हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि फिल्म चैंबर्स और कई कन्नड़ संगठन फिल्म को रिलीज करने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में वितरकों को हालात पर गौर कर निर्णय करना चाहिए।
गौरतलब है कि राजनीति में आने से पहले कुमारस्वामी कन्नड़ फिल्म उद्योग संदलवुड में निर्माता थे। उधर, केएफसीसी के अध्यक्ष सा.रा. गोविंद ने कहा कि वे एक कार्यकर्ता के तौर पर फिल्म के प्रदर्शन का विरोध करेंगे।
Published on:
06 Jun 2018 01:33 am
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