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वॉलंटियर्स की कमी कोरोना कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल के आड़े

- जरूरत एक हजार की, मिले 480- 65 फीसदी वॉलंटियर्स वरिष्ठ नागरिक

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ओडिशा में कोवैक्सिन का ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल शुरू

Human clinical trial of covaxin begins in Odisha

बेंगलूरु. राज्य में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल (third phase trial of India s first indigenous COVID vaccine) जारी है। लेकिन वॉलंटियर्स की कमी (lack of volunteers) इसके आड़े आ रही है। कुछ दिनों पहले ही स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने कोरोना योद्धाओं और चिकित्सा के विद्यार्थियों से आगे आने की अपील की थी।

व्यदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर (Vydehi Institute of Medical Sciences and Research Centre) में दो दिसंबर को ट्रायल शुरू हुआ। पहले सप्ताह में एक हजार लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य था। लेकिन ट्रायल प्रारंभ होने के करीब तीन सप्ताह बाद तक 480 वॉलंटियर्स ही सामने आए। सभी को टीके लगाए जा चुके हैं। 65 फीसदी वॉलंटियर्स वरिष्ठ नागरिक हैं। 480 में से 120 वॉलंटियर्स राजनीतिज्ञ, सेलिब्रिटी, आइपीएस या आइएएस (Politicians, Celebrities, IAS and IPS) अधिकारी हैं।

चिकित्सकों ने अनुसार आम लोगों में उत्साह नहीं है। हालांकि, कई आइएएस और आइपीएस अधिकारियों सहित निर्वाचित प्रतिनिधि स्वेच्छा से ट्रायल में शामिल हुए हैं।

वॉलंटियर्स बढ़ाने के लिए अस्पताल निजी अनुसंधान संस्थान क्लीनट्रैक इंटरनेशनल लिमिटेड की मदद ले रहा है। संस्थान के निदेशक चैतन्य ए. ने बताया कि ट्रायल को लेकर लोगों में हिचकिचाहट है। वे लोगों को बताना चाहते हैं कि वैक्सीन सुरक्षित (Vaccine is safe) है। वैदेही अस्पताल के कई चिकित्सकों सहित उन्होंने भी वैक्सीन लगवाई है। कोई दुष्प्रभाव (no side effect of covaxin) सामने नहीं आया है।

चाहिए 520 वॉलंटियर्स
चिकित्सकों ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जनवरी के दूसरे सप्ताह तक वैक्सीन जारी करने का लक्ष्य है। इसके लिए 520 और वॉलंटियर्स चाहिए। ट्रायल के तीसरे चरण में 28 दिनों के अंतराल पर वैक्सीन के दो डोज दिए जाते हैं। पहली डोज इंसान के शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को उत्तेजित करने का काम करती है जबकि दूसरी डोज शरीर में एंटीबॉडी के उच्च स्तर को बनाए रखती है।