
बेंगलूरु. राजाजीनगर में विराजित साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि सत्य को स्वीकार करें या नहीं, सत्य तो सत्य ही रहेगा। यदि खेत में बीज न डालें तो कुदरत उसे घास-फूंस से भर देती है। ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएं तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते हैं। जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है।
सुखी सुख बांटता है। दु:खी दु:ख बांटता है। ज्ञानी, ज्ञान बांटता है। भ्रमित, भ्रम बांटता है। भयभीत, भय बांटता है। आपको जीवन से जो कुछ भी मिले उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं। पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है।
बात न पचने पर चुगली बढ़ती है। प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढ़ता है। निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है। राज़ न पचने पर खतरा बढ़ता है। दु:ख न पचने पर निराशा बढ़ती है और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है।
Published on:
06 May 2021 10:30 pm
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