
दो साल बाद भी नहीं बनी तेंदुआ सफारी
बेंगलूरु. बन्नेरघट्टा पार्क (बीबीपी) ने अपने परिसर में देश का पहला तेंदुआ सफारी बनाने की थी लेकिन कई महीने पूर्व घोषित यह परियोजना अब तक जमीनी हकीकत नहीं बन पाई है। यहां तक कि सफारी डिजाइन को अंतिम रूप देने का काम भी अब तक शेष है।
दरअसल तेंदुओं की खासियत है कि वे कई फीट ऊंचाई तक छलांग लगा सकते हैं। साथ ही वे आसानी से बाड़बंदी के लिए लगाई जाने वाली लोहे की जाली पर भी चढ़ सकते हैं। इसलिए बीबीपी को इस परियोजना को अंतिम रूप देने में कई प्रकार की चुनौतियों का सामाना करना पड़ रहा है। प्रस्ताव के तहत तेंदुआ सफारी का निर्माण 20 एकड़ में होना है लेकिन इतने बड़े क्षेत्र में समुचित बाड़बंदी करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। अगर तेंदुआ बाड़ फांदकर बाहर आ जाता है तो वह कई लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
बीबीपी के कार्यकारी निदेशक संजय बिजूर के अनुसार तेंदुआ सफारी के लिए अब तक सिर्फ चारदीवारी का आंशिक काम हुआ है। चूंकि अन्य वन्यजीवों की तुलना में तेंदुआ बेहद फुर्तीला होता है और यह कई फीट ऊंची चारदीवारी या बाड़ को फांद सकता है इसलिए बाड़बंदी का डिजाइन अब तक तय नहीं हो पाया है।
पूर्व के अनुभवों से पता चलता है कि तेंदुए कई बार चारदीवारी फांदकर भागने में सफल रहे हैं। फरवरी-२०१६ में वाइटफील्ड स्थित एक निजी विद्यालय से जब तेंदुए को पकड़ा गया था और उसे पुनर्वास के लिए बीबीपी लाया गया था तब वह उसी रात पार्क से भागने में सफल हो गया था। कई अन्य मौकों पर भी तेंदुए अपने बाड़ से बाहर निकलने में लगभग सफल हो गए थे।
केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण का सुझाव
कर्नाटक चिडिय़ाघर प्राधिकरण के सचिव एवं अतिरिक्त वन्य उप संरक्षक बीपी रवि का कहना है कि तेंदुआ सफारी के लिए केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने कुछ सुझाव जारी किए हैं। इसमें 6 मीटर ऊंची बाड़बंदी को 45 डिग्री कोण पर 1.5 मीटर के ढलान में बनाना और चारदीवारी की सतह को फिसलन युक्त रखने का सुझाव है। इससे तेंदुए के लिए चारदीवारी पर चढऩा और बाड़ को फांदना मुश्किल भरा काम होगा। चूंकि डिजाइन अब तक तैयार नहीं हुआ है इसलिए निविदा प्रक्रिया भी लंबित है।
बीबीपी आते हैं पकड़े गए सभी तेंदुए
बीबीपी में उन्नत पशु चिकित्सा देखभाल का हवाला देते हुए पूरे राज्य से बचाए गए सभी तेंदुओं को पुनर्वास के लिए बीबीपी में लाया जाता है। इस समय बीबीपी के बचाव केंद्र में 32 से अधिक तेंदुए हैं। बीबीपी के मौजूदा भालू, शेर और बाघ सफारी क्षेत्र में ही तेंदुआ सफारी बनाने के लिए वर्ष-2016 में छह करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था लेकिन दो साल बीत जाने पर भी सफारी का सपना साकार नहीं हुआ है।
Published on:
15 Oct 2018 07:01 pm
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