उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की गजेटियर के अनुसार सन 1800 में बेंगलूरु का तापमान गर्मियों में भी 18 से 19 डिग्री सेल्सियस रहता था और सर्दियों में शून्य से नीचे चला जाता था। लेकिन आज आधुनिकीकरण, भूमाफिया तथा नागरिकों की जीवन शैली के कारण बेंगलूरु का तापमान गर्मियों में 32 डिग्री तक पहुंच गया है। हमारे जैसे मौन नागरिकों का यह योगदान खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि शहर के नागरिकों को अपने जागने के 12 घंटों में इस्तेमाल की जाने वाली प्रकृति के विरुद्ध चीजों की सूची बना लेनी चाहिए। तभी उन्हें अपनी गलतियों का अहसास होगा। हमारे पूर्वज शांतिपूर्ण जीवन जीते थे और हमें भी इसी तरह की जीवनशैली का तरफ लौटना होगा।
उन्होंने कहा कि जाने-माने अमरीकी लेखक एल्विन टॉफलर ने अपनी तीन किताबों फ्यूचर शॉक, थर्ड वेव तथा पॉवर शिफ्ट में अगले 50 साल की जिंदगी पर प्रकाश डाला है। उनका कहना है कि आज की पीढ़ी भावी पीढ़ी को जीवन को और अधिक रोगग्रस्त, अस्वस्थ, तनावपूर्ण व पीड़ादायक बना रही है। सभी प्रकार का शिक्षा का लक्ष्य जीवन को स्वस्थ व खुशनुमा बनाना होता है पर हम आधुनिक विज्ञान व प्रौद्योगिकी के बावजूद विपरीत जीवनशैली जी रहे हैं। जरुरत इस बात की है कि हम प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली को अपनाएं।
उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान संस्थान के सर्वे के अनुसार प्रत्येक इंसान को सात पौधों को लगाने की जरूरत है। पहले बेंगलूरु में प्रति व्यक्ति ७ से अधिक पेड़ थे लेकिन अब घटकर सात लोगों पर एक पेड़ रह गया है। शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग श्वास संबंधी रोगों, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीडि़त हो रहे हैं। अधिक पेड़ लगाना ही एक मात्र हल है।
चिकपेट के विधायक उदय गरूड़ाचार ने कहा कि अदम्य चेतना फाउंडेशन ने बेंगलूरु शहर में हरियाली को बढ़ाने में प्रशंसनीय कार्य किया है। अदम्य चेतना की संस्थापक तेजस्विनी अनंत कुमार, मेदिनी गरूड़ाचार, विजया शिक्षण ट्रस्ट के संयुक्त सचिव आर.वी.प्रभाकर, कॉलेज के प्राचार्य व विद्यार्थी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर अनेक प्रजातियों के पौधे लगाए गए।