
भगवान महावीर ने नौ प्रकार के पुण्य बताए हैं-आचार्य देवेन्द्र सागर
बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर सूरीश्वर ने कहा कि धर्म एवं पुण्य की कमाई करने वाला दु:ख में भी सुख का अनुभव करता है। भगवान महावीर ने नौ प्रकार के पुण्य बताए हैं। अन्न, पानी, लयन, शयन, वस्त्र, मन, वचन, काया, नमस्कार। अगर हम गलत रास्ते पर कदम रखेंगे तो पुण्य की मंजिल हमसे दूर होती जाएगी और जीवन दु:खमय होता जाएगा। आचार्य ने कहा कि जीवन में अनेक पर्व आते हैं और ये पर्व व्यक्ति को शिक्षा देते हैं। उन्होंने पौष दशमी पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पाश्र्वनाथ भगवान का जन्म कल्याणक पौष दशमी को हुआ है। उन्होंने राजकुमार अवस्था में जलते हुए सांप को नवकार मंत्र सुनाकर उसे धरणेन्द्र देव भव प्रदान कर उसकी गति-योनि दोनों ही सुधार दी। सभी तीर्थकरों में इन भगवान के नाम की महिमा अपूर्व है। अत: धर्मशास्त्रों में इन्हें पुरुषदानीय के नाम से सम्बोधित किया गया है। इसलिए पौष दशमी के आराधना में पाश्र्वनाथ प्रभु के प्रथम दिन 40 माला, द्वितीय दिन 45 माला व दीक्षा कल्याणक के दिन 40 माला का जाप करना चाहिए उन्होंने कहा उक्त साधना में मौन व्रत के साथ प्रभु पाश्र्वनाथ भगवान के जाप किए जाए तो प्रभु हमारी सांसों में बसेंगे। 72 घंटे तक तप आराधना के साथ मंत्र सिद्ध होगा। हमारी साधना फलीभूत होगी। इससे आराधक उर्जावान बनेंगे। मुनि महापद्मसागर ने आराधकों को शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु के जीवनकाल में घटित होने वाली सभी घटनाओं से परिचित कराया। पाश्र्वनाथ प्रभु के गुण की दृष्टि से, गांव व क्षेत्र की दृष्टि से तथा प्रतिमा के प्रभाव की दृष्टि से शास्त्रों में प्रभु के 108 नामों का उल्लेख देखने में आता है। प्रभु के बढ़ते हुए प्रभाव से वर्तमान में 1008 नाम भी प्रचलन में है। प्रभु के 3 स्मरण का उल्लेख भी देखा गया है।
Published on:
30 Dec 2021 06:46 am
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