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प्राचीन भारतीय सभ्यता की बौद्धिक संपदा पर शोध कर रहें कई विदेशी विवि

आज के डिजिटल युग में, युवा पीढ़ी को भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के समृद्ध खजाने से परिचित कराने में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी एक प्रभावी उपकरण है।

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बेंगलूरु सिटी विश्वविद्यालय (बीसीयू) के कार्यवाहक कुलपति प्रो. के.आर. जलाजा ने इतिहास विभाग की ओर से आयोजित इतिहास और कंप्यूटिंग कार्यशाला का उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में, युवा पीढ़ी को भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के समृद्ध खजाने से परिचित कराने में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी एक प्रभावी उपकरण है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से इतिहास के अध्ययन और शोध में काफी मदद मिल सकती है। कई विदेशी विश्वविद्यालय संस्कृत भाषा के माध्यम से प्राचीन भारतीय सभ्यता की बौद्धिक संपदा पर शोध कर रहे हैं।उन्होंने आश्वासन दिया कि स्नातकोत्तर इतिहास के छात्रों को डिजिटल प्रौद्योगिकी संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

कर्नाटक राज्य अभिलेखागार के उप निदेशक डॉ. महेश ने अपने संबोधन में अभिलेखागार विभाग द्वारा अपनाई गई डिजिटलीकरण प्रक्रिया और ऐतिहासिक अभिलेखों को डिजिटल रूप से संरक्षित करने में शामिल उपकरणों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने दिखाया कि कैसे ये डिजिटल दस्तावेज अब जनता के लिए सुलभ हैं, जिससे शोधकर्ता और छात्र अधिक आसानी से अभिलेखीय सामग्री का पता लगा सकते हैं।

डिजिटल के जाने-माने समर्थक ओम शिव प्रकाश ने कन्नड़ साहित्य की ऑनलाइन उपलब्धता पर एक सत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि किस तरह ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर) तकनीक का उपयोग करके पुस्तकों को स्कैन करके उन्हें खोज योग्य पाठ में बदला जा रहा हो। इससे विद्वानों और आम जनता के लिए पहुंच और उपयोगिता बढ़ रही है।