
गर्भ से ही मां का जुड़ाव अपने शिशु से हो जाता है। जन्म के बाद और पहले मां की भाव ऊर्जा बच्चे के साथ जुड़ी रहती है। बच्चों की परवरिश में मूल हाथ मां का होता है। मां बच्चों को बेहतर परवरिश देकर उसके जीवन में उजाला भरने का काम करती है।
यह बातें मुनि डॉ पुलकित कुमार ने मातृत्व दिवस पर तेरापंथ महिला मंडल विजयनगर की ओर से विजयनगर सभा भवन में आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि मातृत्व यात्रा आध्यात्म के साथ करनी चाहिए। मातृत्व भारत के संस्कार और उसकी संस्कृति को उन्नत करता है। मां बच्चे में स्नेह व संस्कार के भाव पुष्ट करती है और मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। बच्चों से पहले कुछ संस्कार पिछले जन्म से आते हैं। इसलिए गर्भ धारण से पहले शारीरिक शुद्धि के साथ-साथ मानसिक व आत्मा की भी शुद्धि करनी चाहिए और अपने आप को शक्तिशाली बनाना चाहिए। बच्चा जब सोता है तब मस्तिष्क पर हाथ रखकर भावनात्मक तरीके से उसके अवचेतन मन को जागृत करें। मुनि आदित्य कुमार ने मातृत्व के गौरव को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। प्रेक्षा फाउंडेशन की साउथ जोन संयोजिका वीणा वैद ने कहा कि आज का विषय हम सबके लिए वरदान है। गर्भधारण के 6 महीने पहले से ही मां को संस्कार संप्रेषण के लिए 9 मंगल भावना का प्रयोग, महाप्राण ध्वनि ,दीर्घ श्वास का प्रयोग करना चाहिए। डॉ. ज्योति ने गर्भवास्था में खान-पान के बारे में जानकारी दी। अध्यक्ष मंजू गादिया ने स्वागत किया। संचालन मंजू लुणिया व आभार ज्ञापन मंत्री दीपिका गोखरू ने किया। कार्यक्रम की संयोजिका प्रचार-प्रसार मंत्री सरिता छाजेड़ रहीं।
Published on:
13 May 2025 08:31 pm
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