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प्रधानाध्यापक ने दिए बच्चों के सपनों को पंख और आसमान

ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले इन बच्चों के लिए हवाई जहाज में बैठना किसी सपने से कम नहीं था। पहली बार जब उन्होंने बादलों के ऊपर से धरती को देखा, तो उनकी आंखों में खुशी और भरोसा दोनों झलक रहे थे।

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अनोखा विदाई तोहफा

स्कूल से हवाई अड्डा के लिए रवाना होते बच्चे व अन्य

-अपने खर्च पर विद्यार्थियों को हवाई यात्रा कराई

- निखिल कुमार

सरकारी स्कूलों Government Schools के बच्चों के सपने अक्सर सीमित संसाधनों के बोझ तले दब जाते हैं, लेकिन कर्नाटक Karnataka के कोप्पल koppal जिले के बहादुर बंडी गांव में प्रधानाध्यापक बीरप्पा अंडागी Beerappa Andagi ने इन सपनों को सच करने का अनोखा तरीका अपनाया।

उन्होंने अपने जीवन की जमा-पूंजी से करीब 5 लाख रुपए खर्च कर 24 छात्रों समेत 40 लोगों को बेंगलूरु Bengaluru की हवाई यात्रा air travel कराई और वह भी इसलिए, ताकि बच्चे सिर्फ किताबों में नहीं, आसमान में उड़कर भी सीख सकें। यात्रियों में इनमें शिक्षक, मिड-डे मील रसोइये और स्कूल विकास एवं निगरानी समिति (एसडीएमसी) के सदस्य भी शामिल हैं।

पहली बार बादलों के ऊपर से धरती को देखा

ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले इन बच्चों के लिए हवाई जहाज में बैठना किसी सपने से कम नहीं था। पहली बार जब उन्होंने बादलों के ऊपर से धरती को देखा, तो उनकी आंखों में खुशी और भरोसा दोनों झलक रहे थे। अंडागी का मानना है कि अगर बच्चों को बड़े सपने देखने का अवसर मिले, तो वे हालात से नहीं, हौसले से अपनी पहचान बनाते हैं।

मेहनत और योग्यता के बल पर मिला मौका

चयन को लेकर उन्होंने पूरी पारदर्शिता बरती। कक्षा 5 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए अलग शिक्षक से परीक्षा करवाई गई और प्रत्येक कक्षा से सबसे अधिक अंक लाने वाले छह-छह विद्यार्थियों को यात्रा का मौका मिला। मेहनत और योग्यता के बल पर मिली यह उड़ान बच्चों के लिए और भी खास बन गई।

दो दिन का शैक्षणिक भ्रमण

तोरणगल के जिंदल एयरपोर्ट Jindal Airport से रवाना हुई इस विशेष उड़ान को कोप्पल सांसद राजशेखर हित्नाल Rajashekar Hitnal ने हरी झंडी दिखाई। दो दिन के इस शैक्षणिक भ्रमण में बच्चों ने बेंगलूरु के प्रमुख अध्ययन केंद्रों और पर्यटन स्थलों का दौरा किया।

...ताकि वे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें

अंडागी की इस पहल की चारों ओर सराहना हो रही है। उनका मानना है कि ग्रामीण और सरकारी स्कूलों के बच्चों को बड़े सपने देखने का अवसर मिलना चाहिए, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।

अनोखा विदाई तोहफा

मैं फरवरी में सेवानिवृत्त हो रहा हूं। अपने विद्यार्थियों students को एक अनोखा विदाई तोहफा देना चाहता था। इनमें से ज्यादातर बच्चे किसान और दिहाड़ी मजदूरों के परिवारों से आते हैं। मेरा मकसद उन्हें उनके गांव से बाहर की दुनिया से मिलवाना और उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करना था।

- बीरप्पा अंडागी, प्रधानाध्यापक