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मैसूरु में बढ़ा मोर का कुनबा

मोर की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग ने चामुंडी पहाड़ी और इसके आसपास के क्षेत्रों में कई फलदार पेड़ लगाए हैं। कई वाटरहोल बनाए गए हैं

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मैसूरु में बढ़ा मोर का कुनबा

- मानव बस्तियों में दिखना हुआ आम
- लोगों व वन विभाग में खुशी की लहर
-बढ़ी सुरक्षा की चिंता

बेंगलूरु. मैसूरु और इसके आसपास के क्षेत्रों में राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या बढ़ी है। कई क्षेत्र इस पक्षी से गुलजार होने लगे हैं। लोगों व वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों में खुशी की लहर है। बरसात के दिनों में मोर की आवाज और पंख फैलाकर किया जाने वाला नृत्यु सभी को हैरान कर रहा है। दिनोंदिन बढ़ता मोरों का कुनबा अब लोगों को भी आकर्षित करने लगा है। वन्यजीव प्रेमियों को भी सुकुन मिल रहा है। पिहू-पिहू की आवाज के साथ मोर बेखौफ होकर विचरण कर रहे हैं।

दिख जाते हैं पंख लहराते
चामुंडी पहाड़ी, हेब्बाल झील, हेब्बाल औद्योगिक क्षेत्र, ललित महल परिसर, कुक्करहल्ली झील, विजयनगर और आसपास के गांवों में मोर दिखने लगे हैं। मोर के मनमोहक अंदाज और आवाज ने लोगों का दिल जीत लिया है। कई बार मोर बड़े ही शानदार तरीके से अपने पंख लहराते दिख जाते हैं।

संख्या को लेकर गोपनीयता
चामुंडी पहाड़ी पहुंचने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं का कहना है कि इससे पहले उन्होंने एक साथ इतने मोर कभी नहीं देखे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते पांच वर्षों में मोर की आबादी बढ़ी है। हालांकि, वन विभाग ने मोर की संख्या को लेकर कोई डेटा जारी नहीं किया है।

शिकारियों से बचाना प्राथमिकता
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिकारियों के कारण वे आंकड़े सार्वजनिक नहीं करते हैं। सुनहरी पंखों के कारण मोरों का सबसे ज्यादा शिकार होता है। इनकी संख्या और स्थान बताने से जीवन को खतरा हो सकता है।

असंतुलन की संभावना

प्रकृतिवादी और पक्षी फोटोग्राफर एम. के. सप्तगिरीश के अनुसार मानव बस्तियों में मोर की आबादी बढऩा आम नहीं है। कारण जानने के लिए अध्ययन की जरूरत है। खाद्य संसाधनों में वृद्धि एक कारण हो सकता है। यदि जनसंख्या में भारी वृद्धि होती है तो प्राकृतिक और पारिस्थितिक असंतुलन की संभावना होती है। मोर का पसंदीदा भोजन सांप है। मोर की संख्या बढऩे से सांपों की आबादी घटेगी और चूहों की संख्या तेजी से बढ़ेगी।

प्रजनन काल मार्च से जुलाई
एथोलॉजिस्ट रघु राव के अनुसार भी शहरी क्षेत्रों में इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में मोर कभी नहीं दिखे हैं। लॉकडाउन, कफ्र्यू व अन्य पाबंदियों के कारण लोगों की आवाजाही कम हुई थी। यह भी इनकी आबादी बढऩे का कारण हो सकता है। मोर का प्रजनन काल मार्च से जुलाई तक रहता है। एक मोरनी एक बार में तीन से चार अंडे देती है। अंडे से चूजे निकालने में 20-25 दिन लग जाते हैं।