केएमएफ अध्यक्ष बालचन्द्र जारकीहोली ने बताया कि 14 दुग्ध उत्पादक संघों के निदेशक और पदाधिकारियों ने बैठक में भाग लिया और उन्हें सरकार के सामने प्रस्ताव रखने का अधिकार दिया है। वह जल्द ही मुख्यमंत्री बीएस येडियूप्पा से मुलाकात कर प्रस्ताव सौंपेंगे। गत तीन साल से दूध की कीमत नहीं बढ़ाई गई है। कुछ कंपनियों के दूध की कीमत नंदिनी की अपेक्षा प्रति लीटर 5 रुपए तक ज्यादा है। यह बात भी मुख्यमंत्री के सामने रखी जाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि तीन रुपए प्रति लीटर वृद्धि की जाती है तो एक रुपया दुग्ध उत्पादकों को दिया जाएगा। सरकार से मिल रही सब्सिडी के रूप में पांच रुपए के साथ अतिरिक्त एक रुपया भी मिलेगा। दूध उत्पादकों को सब्सिडी की राशि के अलावा कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उत्पादकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। इसलिए कीमतों में वृद्धि जरूरी है। बिक्री करने वाले एजेंट को प्रति लीटर के लिए 50 पैसे भुगतान करना पड़ता है।
फिर 50 पैसे दूध उत्पादक सहकारिता संघों के विकास के लिए देना पड़ता है। 50 पैसे जिला स्तर के दुग्ध सहकारिता संघों को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर दिन 70 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। 40 लीटर दुग्ध की बिक्री होती है। 30 लाख लीटर पाउडर और अन्य उत्पाद बनाने इस्तेमाल होता है। हर साल जिला दुग्ध उत्पादक संघों के पास सब्सिडी के रूप में 100 करोड़ रुपए संग्रहित होते हैं। अगर किसी उत्पादक की भैंस या गाय की असामयिक मौत होती है तो मुआवजे के तौर पर 50 से 60 हजार रुपए दिए जाते हैं। हर साल कम से कम 20 से 25 हजार जानवर मरते हैं।