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शहरों में ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन कारगर बनाएगा नया कानून

नगरीय विकास विभाग ने बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका समेत राज्य के सभी नगरीय निकायों के लिए कर्नाटक नगर निगम आदर्श ठोस कचरा प्रबंधन कानून-2018 के मसौदे को अधिसूचित किया है, जो अपशिष्ट को उत्सर्जन प्रक्रिया में ही निपटान करने का विकल्प देगा।

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शहरों में ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन कारगर बनाएगा नया कानून

शहरों में ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन कारगर बनाएगा नया कानून

बेंगलूरु. नगरीय विकास विभाग ने बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका समेत राज्य के सभी नगरीय निकायों के लिए कर्नाटक नगर निगम आदर्श ठोस कचरा प्रबंधन कानून-2018 के मसौदे को अधिसूचित किया है, जो अपशिष्ट को उत्सर्जन प्रक्रिया में ही निपटान करने का विकल्प देगा।


यह पहली बार है कि कचरा प्रबंधन में अपशिष्ट उत्सर्जन लेकर अंतिम निपटान तक को शामिल करने के लिए एक व्यापक कानूनी और नियामक ढांचा लाया जा रहा है। इसमें अपशिष्ट संग्रहण, परिवहन और निस्तारण के साथ ही निगरानी और नियामक प्रक्रिया को भी शामिल करने का प्रावधान है। साथ ही यह पहली बार है कि कर्नाटक नगर निगम अधिनियम, 1976 के तहत उपबंधों को तैयार किया जा रहा है जिससे नगरीय निकायों को अपने प्रावधानों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण शक्तियां मिलती दिख रही हैं, जो नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी सुनिश्चित करेगा। वहीं अब तक सिर्फ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम,1986 के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर नियम तैयार किए जा रहे थे।


अपशिष्ट प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए शहरी विकास विभाग ने राज्य के सभी 278 यूएलबी के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की है। इस कानून के तहत प्रत्येक अपशिष्ट उत्सर्जक, जिसमें थोक अपशिष्ट जनक भी शामिल रहेंगे, उन्हें अपशिष्ट को आरंभिक दौर में ही विभाजित करना अनिवार्य होगा। इसमें गैर-जैवीय अपशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट, निर्माण मलबा, थोक अपशिष्ट, बागवानी कचरा और ई-वेस्ट सहित सभी प्रकार के अपशिष्ट शामिल रहेंगे। नए कानून में अपशिष्ट की मात्रा पर अपशिष्ट निस्तारण शुल्क लगाया जाएगा और नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रावधान है।


उल्लंघनकत्र्ताओं पर लगेगा भारी जुर्माना
राज्य के यूएलबी को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है जो १० लाख से ज्यादा आबादी वाले, एक लाख से १० लाख आबादी के बीच वाले और एक लाख से कम आबादी वाले शहर के रूप में होंगे। उपयोगकत्र्ता शुल्क और जुर्माने की राशि भी शहरों की श्रेणियों के आधार पर होगी। जहां-तहां गंदगी फैलाने पर भी जुर्माना लगेगा। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले नगरीय निकायों में थूकने और गंदगी फैलाने पर 1,500 रुपए जुर्माना लगेगा।

इस श्रेणी में वाले यूएलबी में थोक कचरा विभाजित नहीं करने पर ५००० रुपए जुर्माना और निर्माण मलबा को उचित तरीके से भंडारित नहीं करने या निस्तारण नहीं करने पर २५ हजार जुर्माने का प्रावधान रहेगा। एक बार जब शहरी विकास विभाग इस मसौदे को आधिकारिक राजपत्र में सूचित कर देगा तब यह कानून के रूप में मान्य होगा।