पशु चिकित्सकों की मदद से भालू को बेहोश कर radio collars लगाए जाते हैं। कुछ घंटों की निगरानी के बाद इन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया जाता है।
पशु चिकित्सक डॉ. अरुण एस. एस. ने कहा, कर्नाटक के स्थलीय वन पारिस्थितिकी तंत्र में स्लॉथ भालू की भूमिका का दस्तावेजीकरण करके, हम जैव विविधता के संरक्षण के लिए उनके महत्व को समझने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे। वाइल्ड लाइफ एसओएस के फील्ड बायोलॉजिस्ट स्वामीनाथन एस. ने कहा, बढ़ती मानव आबादी स्लॉथ भालू के मौजूदा आवासों पर दबाव डालती है, जिसके परिणामस्वरूप मानव-भालू संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि होती है। भालू भोजन की तलाश में कृषि क्षेत्रों की ओर चले जाते हैं।