
Power cut : बिजली कटौती से गर्मी में लोग बेहाल
बेंगलूरु. एक जुलाई से बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि पर ऊर्जा मंत्री वी. सुनील कुमार ने कहा कि यह फैसला राज्य सरकार का नहीं, राज्य विद्युत नियामक आयोग (केइआरसी) का है। आयोग का फैसला ही इस मामले में अंतिम होता है।
यहां बुधवार को उन्होंने कहा कि हर साल दरों मेें वृद्धि की जाती है। बिजली वितरण कंपनियों के प्रस्ताव के आधार पर आयोग निर्णय करता है। उत्पादन लागत में वृद्धि के आधार पर हर तिमाही दरों में वृद्धि का प्रावधान भी है। इस मामले में भी कंपनियों के प्रस्ताव के आधार पर आयोग ही निर्णय करता है। इस प्रक्रिया में राज्य सरकार की भूमिका सीमित होती है।
सरकार पर दोषारोपण अनुचित
उन्होंने कहा कि इससे पहले वर्ष 2013-14 में सिद्धरामय्या सरकार के समय भी पेट्रोलियम उत्पादों तथा कोयले के मूल्यों में वृद्धि के कारण बिजली वितरण कंपनियों के प्रस्ताव पर आयोग ने दरों में वृद्धि को मंजूरी दी थी।
उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन खर्चे के आधार पर ही केईआरसी की ओर से बिजली के दरों का निर्धारण किया जाता है। लिहाजा, बिजली के दरों में वृद्धि को लेकर राज्य सरकार पर दोषारोपण तार्किक नहीं है।
विपक्ष ने साधा निशाना
उधर, विपक्षी दलों ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा। विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या ने कहा कि भाजपा सरकार चाहती है कि गरीब खत्म हो जाएं। पहले से ही इतनी महंगाई है। भाजपा सरकार की विफलता की कीमत लोगों को चुकानी पड़ रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री और जद-एस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की मानसिकता एक समान है। दोनों दल सत्ता में होने पर पहले बिजली की दर में वृद्धि को प्रशासनिक अनुमति देते हैं और चुनाव करीब आते ही बिजली दरों में कटौती की घोषणा की जाती है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री वी. सुनील कुमार का बिजली की दरों में वृद्धि के प्रस्ताव में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होने का दावा हास्यास्पद है।
Published on:
30 Jun 2022 02:36 am
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