
अहिंसा व कठोर तप ही जैन धर्म की पहचान: कटारिया
बेंगलूरु. पैलेस ग्राउंड में अक्षय तृतीया पर सामूहिक वर्षीतप पारणा महोत्सव आचार्य देवेन्द्रसागर सूरीश्वर व मुनि महापद्मसागर की निश्रा में संपन्न हुआ। इस मौके पर आसाम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने तपस्वियों के सम्मान में कहा कि मार्ग वही होता है, जिसका अनुसरण महापुरुष करते हैं। जैन धर्म संसार में अहिंसा के लिए प्रसिद्ध है और कठोर तप के लिए जाना जाता है। तपस्या के लिए भगवान ऋषभदेव आदर्श पुरूष हैं। उनके द्वारा ही पहली बार वर्षीतप और अक्षय तृतीया पर पारणा किया गया था।
वर्षीतप के 254 तपस्वियों का अभिनंदनमहोत्सव में सर्वप्रथम मंदिर में विराजमान आदिनाथ भगवान की प्रतिमा का अठ्ठारह अभिषेक महापूजन किया गया। धर्मसभा में वर्षीतप के 254 तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। तपस्वियों को इक्षुरस से पारणा करवाने का लाभ सुनील कुमार गादिया ने लिया। वर्षीतप पारणा महोत्सव में राज्यसभा सदस्य लहरसिंह सिरोया भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर गुलाबचंद कटारिया एवं वर्षीतप कमेटी के सदस्यों के हाथों आचार्य देवेन्द्रसागरसूरी को साउथ वेस्टर्न अमरीकन यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदत्त मानद् डॉक्टरेट की उपाधि से विभूषित किया गया।. आचार्य को ये उपाधि समाज के विकास कल्याण और उत्थान में अतुलनीय योगदान देने के लिए दी गई। धर्मसभा के बाद ढोल नगाड़े के साथ हस्तिनापुर मंडप में आचार्य एवं सकल संघ के साथ श्रेयांशकुमार का आगमन हुआ। पश्चात तपस्वियों का पाद पक्षालन किया गया और इक्षु रस से पारणा करवाया गया।
Published on:
23 Apr 2023 07:09 pm
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