
Hookah : 100 सिगरेट के बराबर नुकसान करता है एक हुक्का
निखिल कुमार
कैंसर रोग विशेषज्ञों ने सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में सभी प्रकार के हुक्का उत्पादन, बिक्री, खपत, भंडारण, विज्ञापन और प्रचार पर प्रतिबंध लगाने के Karnataka सरकार के आदेश को सराहा है। इसे साहसिक और सक्रिय कदम बताया है। इससे विशेषकर युवाओं को हर प्रकार के cancer से बचाने में मदद मिलेगी। Second Hand Smoking (सेकंड हैंड स्मोकिंग) का दंश झेलने पर मजबूर आम लोग भी स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित महसूस करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने कुछ सप्ताह पहले ही प्रतिबंध के संकेत दिए थे। केरल, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब ने पहले से ही hookah पर प्रतिबंध लगा रखा है।
ओरल कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाल राव ने कहा कि सरकार ने Tobacco और गैर-तंबाकू हुक्का पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे राज्य में अवैध रूप से संचालित सैकड़ों हुक्का बारों से भी निजात मिलेगी। पुलिस-प्रशासन के लिए कानूनी कार्रवाई करना आसान होगा।
22 फीसदी से ज्यादा वयस्क
डॉ. राव ने कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे-2016-17 (जीएटीएस-2) के चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक में 22.8 फीसदी वयस्क तंबाकू का उपयोग करते हैं, जिनमें 8.8 फीसदी धूम्रपान करने वाले हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि 23.9 फीसदी वयस्क सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान के संपर्क में आते हैं, जो राज्य में तंबाकू सेवन के व्यापक जोखिम को दर्शाता है। इसी रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रतिबंध की घोषणा की है।
आर्थिक बोझ : 983 करोड़ रुपए का नुकसान
डॉ. राव ने बताया कि तंबाकू के सेवन का आर्थिक बोझ भी उतना ही चिंताजनक है। कर्नाटक सरकार को वर्ष 2011 में 35-69 आयु वर्ग के व्यक्तियों में तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण 983 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। तंबाकू नशीली दवाओं के दुरुपयोग का प्रवेश द्वार ओरल कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक एस. ने कहा कि विश्व ड्रग्स रिपोर्ट 2022 के अनुसार तंबाकू नशीली दवाओं के दुरुपयोग का प्रवेश द्वार है। हुक्का पर प्रतिबंध ओपिओइड के उपयोग में चिंताजनक वृद्धि और तंबाकू के सेवन से उत्पन्न नशीली दवाओं के दुरुपयोग की शुरुआत को भी संबोधित करता है।
हर पांचवां छात्र चपेट में
World Health Organization (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (2019) ने तंबाकू उत्पादों के साथ युवाओं की बढ़ती भागीदारी को रेखांकित किया, जिसमें 13-15 आयु वर्ग का लगभग हर पांचवां छात्र किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करता है। इसके अलावा, शोध से पता चला है कि तंबाकू आधारित शीशा और हर्बल शीशा दोनों ही जहरीले एजेंटों से भरे धुएं का उत्सर्जन करते हैं। इससे कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। हुक्का पर प्रतिबंध विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों के करीब संचालित हुक्का बारों पर नकेल कसने में पुलिस को और सक्षम बनाएगा।
सिगरेट जितना ही हानिकारक
Cigarettes and hookah (सिगरेट और हुक्का) के एक तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार सिगरेट की तरह ही हुक्का के धुएं में निकोटीन, टार और भारी धातुओं सहित कई समान हानिकारक पदार्थ होते हैं। हुक्का पीने वालों को विभिन्न प्रकार के कैंसर और हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा होता है।
हर कश में चार हजार रसायन
चिकित्सकों का मानना है कि एक हुक्का पीने से शरीर को 100 सिगरेटों के बराबर नुकसान पहुंचता है। हुक्के का एक सेशन 40 से 45 मिनट का होता है। शरीर में 250 फीसदी nicotine बढ़ जाता है। इतना निकोटिन 100 सिगरेट के बराबर होता है। हुक्के में चारकोल भरा जाता है। इसमें भी कई तरह रसायन होते हैं। हुक्का से निकले धुएं की वजह से शरीर की नसें सिकुडऩा शुरू हो जाती हैं। रक्त में होमोसिस्टीन का स्तर बढ़ जाता है। कैंसर का खतरा तो होता ही है। हृदय और दिमाग में थक्का जमने का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण स्ट्रोक या अटैक पड़ सकता है। हुक्के के हर कश में चार हजार रसायन होते हैं।
Updated on:
09 Feb 2024 08:51 pm
Published on:
09 Feb 2024 07:55 pm
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