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आरसी और कला महाविद्यालय को बीसीयू में शामिल करने का विरोध

एक विश्वविद्यालय को चलाने के लिए लगभग 250 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है। विश्वविद्यालय पहले से ही धन की कमी से जूझ रहे हैं और राज्य सरकार राज्य के 7 विश्वविद्यालयों को बंद करने की योजना बना रही है।

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अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (एआइडीएसओ) ने राज्य सरकार के सरकारी आर. सी. कॉलेज और सरकारी कला महाविद्यालय को बेंगलूरु सिटी विश्वविद्यालय (बीसीयू) के घटक महाविद्यालयों में परिवर्तित करने के निर्णय की निंदा की। शहर के फ्रीडम पार्क में सम्मेलन आयोजित कर विरोध किया।

राज्य सचिव अजय कामत ने कहा, आज संघटक महाविद्यालयों की स्थिति बहुत दयनीय है। सरकारी डिग्री कॉलेजों में विभिन्न डिग्री पाठ्यक्रमों की फीस जहां 6,000 रुपए से कम है, वहीं संघटक महाविद्यालयों में न्यूनतम फीस 12,000 रुपए से शुरू होती है। उदाहरण के लिए मैसूरु के युवराज कॉलेज, तुमकूरु के संघटक महाविद्यालय और धारवाड़ के संघटक महाविद्यालय की फीस में वृद्धि हुई है।मैसूरु विश्वविद्यालय के घटक महाविद्यालय युवराज कॉलेज में बीएससी की कॉलेज फीस 13,600 रुपए और बीबीए की 24,810 रुपए है। इस तरह सरकारी कॉलेजों को घटक कॉलेजों में बदलने से फीस में काफी वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि एक विश्वविद्यालय को चलाने के लिए लगभग 250 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है। विश्वविद्यालय पहले से ही धन की कमी से जूझ रहे हैं और राज्य सरकार राज्य के 7 विश्वविद्यालयों को बंद करने की योजना बना रही है। ऐसी स्थिति में अगर ये दोनों शिक्षण संस्थान विश्वविद्यालय के दायरे में आते हैं, तो ऐसा लगेगा जैसे सरकार खुद छात्रों को शिक्षा से बाहर कर रही है।प्रदेश उपाध्यक्ष अभया दिवाकर ने कहा, आज महाविद्यालय में कुछ स्थायी व्याख्याताओं ने छात्रों के साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया है। यह निंदनीय है कि जिन व्याख्याताओं पर गरीब छात्रों को शिक्षा सुनिश्चित करने की नैतिक जिम्मेदारी है, उन्होंने विरोध करने आए छात्रों के साथ मारपीट की। खुद को समाजवादी और संविधान समर्थक सरकार कहने वाली राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

जिला अध्यक्ष अपूर्व ने विरोध प्रदर्शन की अध्यक्षता की। जिला सचिव कल्याण सहित सैकड़ों छात्र इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।